साल का आखिरी पूर्णिमा का व्रत 29 दिसंबर मंगलवार को किया जाएगा। पूर्णिमा तिथि मंगलवार सुबह करीब 7:55 से बुधवार सुबह 8:58 तक रहेगी। इसी कारण व्रत और पूजा मंगलवार को की जाएगी। वहीं, इस पर्व पर पुण्य पाने के लिए स्नान और दान अगले दिन यानी बुधवार 30 दिसंबर को किया जाएगा। ये मार्गशीर्ष महीने का आखिरी दिन भी रहेगा। इसके बाद 31 दिसंबर से पौष महीने की शुरुआत हो जाएगी।
खरमास के कारण बढ़ गया महत्व
खरमास होने से मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है। मार्गशीर्ष महीने के भगवान श्रीकृष्ण हैं। वहीं, खरमास में भी भगवान विष्णु की विशेष पूजा करनी चाहिए। इसलिए ही ये पूर्णिमा सर्व सिद्धिदायक मानी जा रही है। पूर्णिमा का व्रत रखने के साथ ही सत्यनारायण व्रत कथा और भगवान विष्णु की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं।
उच्च राशि और 16 कलाओं वाला चंद्रमा
29 दिसंबर को चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहेगा। इस दिन चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होगा। ये मंगल का नक्षत्र होता है। इस दिन मंगलवार होने से विशेष संयोग भी बन रहा है। साथ ही चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण रहेगा। चंद्रमा की ये स्थिति रोग नाशक और अच्छी सेहत देने वाली रहेगी। इसलिए इस दिन चंद्र पूजा का भी बहुत महत्व रहेगा। इस पूर्णिमा के संयोग में शिवलिंग पर दूध और गंगाजल चढ़ाने से ग्रह दोष और सेहत संबंधी परेशानियों में राहत मिलेगी।
अन्य पूर्णिमाओं से कई गुना ज्यादा पुण्य
पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि पूर्णिमा की उदित तिथि बुधवार को होने के बावजूद एक दिन पहले ही यानी मंगलवार को ही व्रत करना उचित रहेगा। इसके अगले दिन स्नान और दान दिया जाना चाहिए। इस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए तर्पण, स्नान और दान करना विशेष फलदायी रहेगा।
पं. मिश्र का कहना है कि अगहन महीने की पूर्णिमा होने से इसका महत्व और बढ़ गया है। इस दिन स्नानादि के बाद संकल्प लेकर भगवान सत्यनारायण की अक्षत, पुष्प, धूप-दीप और नैवेद्य से पूजा करे के ऊं नमो नारायणाय मंत्र का जप करना चाहिए। इस पूर्णिमा को किए गए दान और पूजा का फल अन्य पूर्णिमाओं से भी कई गुना बढ़ जाता है।