सीएम के आदेश को हवा में उड़ा रहे रतलाम के जिम्मेदार अफसर

Posted By: Himmat Jaithwar
12/29/2020

एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी मेडिकल संचालक पर कार्यवाही नहीं,

कागजो के खेल में उलझाकर मामले को रफादफा करने का प्लान 


रतलाम। बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध काम करने वाले माफिया और गुंडों पर कर्यवाही करने के सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे लोगों पर कार्यवाही नहीं की, तो कलेक्टर नपेंगे, लेकिन बावजूद इसके अधिकारी वर्ग प्रदेश के मुखिया के आदेश को हवा में उड़ा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण चिकित्सा विभाग में देखने को मिला बीते एक सप्ताह पूर्व ड्रैग इंस्पेक्टर ने एक मेडिकल संचालक को गर्भपात की प्रतिबंधित दवाई का विक्रय करते पकड़ा, लेकिन आज तक उक्त मेडिकल संचालक पर विभाग  ने  कोई कार्यवाही नहीं की और कार्यवाही को नोटिस की कार्यवाही में उलझा दिया।

बतादे की 21 दिसम्बर को ड्रैग स्पेक्टर ने सैलाना बस स्टैंड स्थित अदिति मेडिकल पर गर्भपात की प्रतिबंधित दवाइयों का विक्रय करते हुए संचालक को रंगेहाथ पकड़ा था लेकिन ड्रैग इंस्पेक्टर द्वारा दुकान सील नहीं करते हुए कर्यवाही को  गोलमाल कर दिया और संचालक को नोटिस देने के बात कही, लेकिन एक सप्ताह से अधिक बीत जाने के बाद भी जिम्मेदार कार्यवाही से पल्ला झाड़ रहे हैं।

मामले को रफादफा करने की प्लांनिग में जिम्मेदार 
बतादे की गर्भपात की प्रतिबंधित दवाइयों का विक्रय करने वाले पर की गई कार्यवाही कई सवालों के घेरे में है और जिम्मेदार गोलमोल कार्यवाही कर मेडिकल संचालक को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। कार्यवाही वाले दिन अगर दुकान को सील किया जाता तो भारी मात्रा में बिना बिल के प्रतिबंधित दवाइयों का जखीरा प्रशासन के हाथ लग सकता था। जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार अधिकारी ने अपना हित साधने के लिए कार्यवाही में रुचि नहीं दिखाई।

पहले भी कई मामलो को जिम्मेदार कर चुके है रफादफा 
सूत्र बताते है  कि तीन सालो पहले रियावन में एक मेडीकल संचालक का प्रतिबंधित दवाइयों के विक्रय करने का वीडियो वायरल हुआ था जिसके बाद जिम्मेदार विभाग ने कागजी कारवाही से संचालक को डराया ओर मोटी रकम लेकर मामले को रफादफा कर दिया। बता दे कि इस मामले में निपटाने के लिए मेडिकल संचालक को अपनी जमीन तक बेचना पड़ी थी। उसी के बाद चमारिया नाका स्थित एक मेडिकल स्टोर पर भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और पुलिस ने दबिश देकर कार्यवाही की, लेकिन फिर कागजो के खेल में मामले को रफादफा कर दिया गया।



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