कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर छुट्टियां मनाने विदेश चले गए हैं। राहुल ने ऐसे समय छुट्टियां मनाने का फैसला किया है, जब पार्टी अपने भविष्य को लेकर चिंतन और पुनर्गठन के दौर से गुजर रही है। एक ओर जहां मोदी सरकार किसान आंदोलन पर घिरती नजर आ रही हैं, वहीं अगले साल होने वाले बंगाल चुनाव के लिए भाजपा ने अभी से अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे में राहुल की छुट्टियां एक बार फिर कौतूहल से ज्यादा विवाद का विषय बन गई हैं।
पिता से मेल खाती आदत
छुट्टियां मनाने की राहुल की यह आदत पिता राजीव गांधी से मेल खाती है। राजीव की ही तरह राहुल की छुट्टियां और विदेश दौरों पर नजर रहती है और उनकी आलोचना भी होती रही है। राजीव जब सत्ता में थे, उनकी जीवनशैली पर करीब से नजर रखी जाती थी। डिजाइनर जूते, तेज कारों और महंगी वस्तुओं के लिए उनका आकर्षण हमेशा चर्चा और बहस का विषय बना रहता था।
जॉर्डन के किंग हुसैन ने उन्हें मर्सिडीज बेंज गिफ्ट दी थी। जब राजीव उसे चलाते दिखे तो यह पहला मौका था जब दिल्ली में किसी प्रधानमंत्री को कार ड्राइव करते देखा गया। राजीव को लोग, खासकर मीडियाकर्मी, यप्पी क्यों समझते थे। इस पर विदेश सेवा के अफसर से नेता बने मणिशंकर अय्यर के पास अलग ही स्पष्टीकरण है। वे कहते हैं, ‘शायद वे मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए व्यक्ति के चम्मच को सोने का होते देखना पसंद नहीं किया जाता।’
ऐसे समय छुट्टी कैसे मना सकते हैं!
पिता की ही तरह राहुल भी अलग-अलग कारणों से विवादों में रहे हैं। उनका हालिया इटली दौरा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आलोचनाओं से घिर गया। वे अपनी नानी पाओला प्रेडेबॉन की तबीयत देखने गए थे और यह सहज मानवीय रिश्ते के प्रति उनकी सोच थी। इसके बाद भी सोशल मीडिया पर वह निशाने बने। कहा गया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पार्टी के 136वें स्थापना दिवस, किसान आंदोलन के साथ ही बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में आने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों के वक्त विदेश दौरा कैसे कर सकते हैं।
यह बात अलग है कि कांग्रेस के अधिवेशन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) प्रमुख (या अंतरिम प्रमुख यानी सोनिया गांधी) या पार्टी के वरिष्ठतम महासचिव (केसी वेणुगोपाल) पार्टी का झंडा फहरा सकते हैं। किसान आंदोलन में राजनेताओं को आंदोलन स्थल पर आने या भाग लेने से दूर रखा गया है, इसलिए राहुल की अनुपस्थिति का बहुत कम असर हुआ। पर राहुल को लेकर जनधारणा, उनकी गैरमौजूदगी पर उठते सवाल और सोशल मीडिया पर जारी हमलों को देखते हुए तथ्यों की बात ही कौन करता है।
क्या मोदी-शाह का मॉडल सब पर फिट होता है?
एक महत्वपूर्ण बात है, जिस पर विचार करने की जरूरत है। क्या गांधी और कांग्रेस को उसी तरह काम करना चाहिए, जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके डिप्टी अमित शाह करते हैं? आखिरकार काम और मौज-मस्ती की हद स्पष्ट है। यह प्रश्न इसलिए कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी छुट्टियों का विकल्प चुना था।
मोदी-शाह निस्संदेह 24X7 राजनेता हैं जिन्होंने काम और मौज-मस्ती के बीच की लाइन को धुंधला कर दिया है, पर काम और मौज-मस्ती का अंतर ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास और इलीट क्लास के लिए हमेशा से प्रिय रहा है। क्या मिडिल क्लास का कोई व्यक्ति ईमानदारी और अंतरात्मा की आवाज सुनकर यह कह सकता है कि वह विदेश में छुट्टियां या बिना फिक्र के वीकेंड नहीं मनाता? एक अलग ही स्तर पर अगर आप राजीव और राहुल की छुट्टियों को करीब से देखेंगे तो आपको पिता-पुत्र की छुट्टियों का अंतर साफ नजर आएगा।
राजीव गांधी की छुट्टियां
प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष (1984-89) के रूप में राजीव ने नियमित रूप से क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां मनाईं। 1985 में कान्हा नेशनल पार्क (मध्य प्रदेश), 1986 में रणथंभौर (राजस्थान) गए। 1987 में राजीव-सोनिया और उनके दोस्तों की मंडली अंडमान में थी और 1988 में लक्षद्वीप में। राजीव की दिलचस्पी फोटोग्राफी, वन्य जीवन और परिवार व करीबी दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने में थी।
1984 के लोकसभा चुनावों में धमाकेदार सफलता के केवल नौ सप्ताह बाद राजीव कान्हा नेशनल पार्क में छुट्टियां बिताने चल पड़े थे। एक साल बाद वे रणथंभौर नेशनल वाइल्डलाइफ पार्क में थे, जहां उन्होंने नए साल के छह दिन बिताए। पार्क में जनता की एंट्री बंद थी। खुले मैदान में एक हेलीपैड बना था। 23 लोगों का ग्रुप छुट्टियां मनाने पहुंचा था, जिसमें पत्नी सोनिया और बच्चे राहुल-प्रियंका शामिल थे; सोनिया के माता-पिता और इटली से आठ रिश्तेदार; बृजेन्द्र सिंह और परिवार; और अमिताभ बच्चन, पत्नी जया और दो बच्चे भी ग्रुप में थे। राजीव इतने उत्साहित थे कि वहां आने के आधे घंटे के भीतर, एक जीप में सवार होकर घूमने निकल पड़े थे। 4,500 रुपए से अधिक के बिल का भुगतान व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री ने किया। राजीव ने रसोइयों और अन्य अटेंडेंट्स को 2,000 रुपए तो सिर्फ टिप के तौर पर दिए थे।
श्रीदेवी का स्पेशल शो
राजीव की रणथंभौर की छुट्टियों की विशेषता थी फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी की चुनिंदा दर्शकों के सामने प्रस्तुति। उस समय श्रीदेवी देश की नामी एक्ट्रेस में से एक थीं। मीडिया में इस प्रस्तुति की बहुत आलोचना भी हुई थी। जिस देश में लाखों गरीब रहते हों, उसके मुख्य कार्यकारी से अच्छा समय गुजारने की उम्मीद नहीं थी।
जब 1988 का नया साल शुरू हुआ, राजीव छुट्टी पर थे। वे हिंद महासागर के कोरल लैगून लक्षद्वीप पर थे। कथित तौर पर राजीव ने लैगून में एक व्हेल देखी, जिसे खरोंच आई थी और खून बह रहा था। बॉडीगार्ड्स की मदद से युवा प्रधानमंत्री ने गोता लगाया और व्हेल को गहरे पानी में धकेला। यह सब उस समय लैगून के सिरे पर मौजूद एक अन्य बड़ी व्हेल देख रही थी।
क्या किसी और नेता ने भी मनाई हैं छुट्टियां
राजीव का छुट्टियों पर जाना भारतीय राजनीति में एक नई घटना थी। उनके पहले के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू विधुर थे और इंदिरा गांधी विधवा। लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल बहुत छोटा रहा था। राजीव युग के बाद भी, पीवी नरसिम्हा राव विधुर थे, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी अविवाहित। वीपी सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री पद पर काफी कम समय रहे और वह वक्त भी लड़ाई-झगड़ों के बीच निकल गया। हालांकि, डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री कार्यालय में दस साल रहे। पर छुट्टियां चर्चा में आई नहीं। फिर उनके उत्तराधिकारी नरेंद्र मोदी तो छुट्टी लेने पर ही भरोसा नहीं करते।
1990 में राजीव सत्ता से बाहर थे। तब उन्होंने अपने मित्र व सहपाठी मणिशंकर अय्यर से जनवरी 1990 में कोचीन से गोवा की यात्रा के दौरान पूछा था कि लोग उन्हें यप्पी क्यों मानते हैं? इस पर अय्यर ने का- क्योंकि वे नहीं चाहते कि जो व्यक्ति चांदी का चम्मच मुंह में लेकर जन्मा हो, उसके मुंह का वह चम्मच सोने का हो जाए।
राहुल गांधी की छुट्टियों का राज
राहुल छुट्टियां मनाने जाते हैं तो वह राज ही रहता है और उस पर गॉसिप और अफवाहें जोर पकड़ लेती हैं। 2017 में राहुल 57 दिन के लिए सबैटिकल (अध्ययन अवकाश) पर गए थे। अब तक अटकलें लगती रही हैं कि तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष बैंकॉक, बाली, लंदन या यंगून में थे। राहुल 16 साल से राजनीति में हैं और हर दो महीने में उनकी विदेश यात्रा चर्चा का विषय बन जाती है।
राहुल ने शायद ही कभी अपना जन्मदिन भारत में मनाया हो, क्योंकि सुरक्षा कारणों से वे यहां-वहां नहीं घूम सकते। राहुल को गो-कार्टिंग, पावर-बाइकिंग, शूटिंग, डाइविंग और अन्य एडवेंचर स्पोर्ट्स को पसंद हैं। राजीव के विपरीत डेस्टिनेशन, दोस्तों के सर्कल और युवा गांधी की जीवन शैली को लेकर पूरी तरह गोपनीयता रखी जाती है। उनके एक करीबी दोस्त ने एक बार कहा था, “वह कड़ी मेहनत करते हैं और पार्टी से प्यार करते हैं... मैं और कुछ नहीं कह सकता।”
राहुल गांधी की छुट्टियों पर विवाद क्यों
राहुल विदेश में छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं। जब हम इसका कारण जानने की कोशिश करेंगे तो कुछ लोग यह कहेंगे कि राजीव के समय के मुकाबले आज मीडिया कई गुना बढ़ गया है। इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया तो उस समय था ही नहीं। अब इसकी पहुंच सबसे अधिक है। प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जिन रिजॉर्ट्स में जाते थे, वहां पूरी तरह से गोपनीयता रख सकते थे।
पर कांग्रेसियों के एक वर्ग को लगता है कि सार्वजनिक जीवन जीने वाले नेताओं का बिताया 'गुड टाइम' लोगों में उसके प्रति अलग धारणा बनाता है। उनका इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश की ओर है, जिसमें उन्होंने अपने मंत्रियों और भाजपा के बड़े नेताओं को छुट्टियों पर न जाने और न्यू ईयर वीकेंड पर आम दिनों की तरह काम करने को कहा गया है।