भोपाल। देश की सबसे बड़ी दारुल उलूम ताजुल मसाजिद में निकाह की गाइडलाइन बदल गई है। अब निकाह के लिए दूल्हों की भीड़ नजर नहीं आएगी। इस व्यवस्था में सुधार की खातिर प्रबंधन ने तय किया है कि अब एक दिन में मसाजिद में सिर्फ 7 निकाह की इजाजत होगी।
मसाजिद के आंगन में टेंट लगाकर निकाह की परमिशन नहीं दी जाएगी। यहां संचालित दारुल उलूम मदरसा में पढ़ाई के दौरान दोपहर में किसी निकाह को अनुमति नहीं मिलेगी। दारुल उलूम ताजुल मसाजिद प्रबंधन ने मसाजिद मेंं भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए यह बड़ा फैसला लिया है। इसकी एक वजह मदरसा और यहां होने वाली धार्मिक गतिविधियां भी हैं। अभी एक दिन में 30 से 35 निकाह के आयोजन मसाजिद में होते थे।
तीनों गुंबद के नीचे 7 मेहराब में 7 सेक्शन
प्रबंधन ने तय किया है कि तीनों गुंबद के नीचे 7 मेहराब में 7 सेक्शन बनाएंगे। हरेक में एक निकाह की अनुमति दी जाएगी। इस सिलसिले में दारुल उलूम ताजुल मसाजिद के मुखिया प्रो. हस्सान खान की शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी व मसाजिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासेर अराफत के साथ बैठक हुई। प्रो. खान ने मसाजिद में अधिक निकाह होने पर वहां की व्यवस्थाएं प्रभावित होने, अतिरिक्त बिजली खर्च आने व स्वच्छता का मुद्दा उठाया।
पंजीयन कराते वक्त लिखाना होगा ताजुल मसाजिद का नाम
बैठक में तय हुआ कि अब एक दिन में सिर्फ 7 निकाह ताजुल मसाजिद में हो सकेंगे। यह भी वह निकाह होंगे, जो मसाजिद कमेटी में पंजीयन कराते समय निकाह का स्थान ताजुल मसाजिद लिखवाएंगे। ये निकाह भी असिर और मगरिब की नमाज के बीच के समय में होंगे।
प्रो. खान ने भी ये स्पष्ट किया कि दोपहर में ऐसे आयोजन की परमिशन नहीं होगी। उनके मुताबिक वे पूर्व में ही निकाह के समय वीडियोग्राफी एवं फोटो खींचने पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। शहर काजी नदवी ने कहा कि वे पिछले 3 साल से शादी-ब्याह सादगी से करने की मुहिम चला रहे हैं। सबको परामर्श दे रहे हैं कि पड़ोस की किसी भी बड़ी मस्जिद में निकाह का आयोजन कर लें।