लखनऊ। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बुधवार को लखनऊ पहुंचे। यहां उन्होंने एक होटल में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष और योगी सरकार के सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात की। इस दौरान ओवैसी ने कहा, ‘मैं नाम बदलने नहीं, दिलों को जीतने आया हूं।’ यह भाजपा पर तंज था। दरअसल, हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा ने हैदराबाद का नाम भाग्य नगर करने का वादा किया था।
माना जा रहा है कि ओवैसी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल यादव से भी मिल सकते हैं। कहा जा रहा है कि ओवैसी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए यहां गठजोड़ के नए समीकरण तलाशने आए हैं। एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने UP विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है।
ओवैसी ने 2017 के चुनाव में UP में 34 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी।
बिहार में जीत से ओवैसी का हौसला बढ़ा
2017 में उत्तर प्रदेश की 34 सीटों पर ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उन्हें एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। हालांकि, हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को पांच सीटें मिलीं। इससे उनका हौसला बढ़ा है और अब वे उत्तर प्रदेश पर फोकस बढ़ा रहे हैं। हाल ही में प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भी ओवैसी की पार्टी से गठबंधन के संकेत दिए थे। बसपा से भी ओवैसी की बातचीत की चर्चा है।
ओवैसी-ओमप्रकाश राजभर की मुलाकात पूर्वांचल की सीटों पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
ओवैसी के साथ दलित-मुस्लिम कार्ड खेल सकती हैं मायावती
वरिष्ठ पत्रकार नावेद शिकोह ने कहा, 'फिलहाल UP में भाजपा के साथ मायावती के रिश्तों में नरमी है, लेकिन भाजपा फिलहाल इतनी मोहताज नहीं है कि UP विधानसभा चुनाव में वह बसपा से हाथ मिलाए। उधर, बसपा बिना सहारे के UP विधानसभा चुनाव में अच्छा परफॉर्म करने की स्थिति में नहीं है।
सूत्र बता रहे हैं कि वे ओवैसी से गठबंधन करके राज्य में दलित-मुस्लिम का मजबूत कार्ड खेलना चाहती हैं, ताकि विरोधियों को कड़ी टक्कर दी जा सके। बिहार में वे ओवैसी के साथ गठबंधन धर्म निभा कर AIMIM को पांच सीटें दिलवाने में मददगार भी साबित हुईं हैं।’