ग्वालियर। मिडिल स्कूल के एक सरकारी शिक्षक ने सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहने वाले मजदूरों के बच्चाें काे दिनभर खेलते देखा तो उनकी पढ़ाई की चिंता की। स्कूल से लौटते समय साइंस कॉलेज के बाहर झोपड़ियों के बाहर खेल रहे 4 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसके बाद और बच्चे पढ़ने आने लगे। वर्तमान में 200 बच्चे अध्ययनरत हैं।
शिक्षक को निस्वार्थ भाव से झोपड़ियों के बाहर बैठकर पढ़ाते देखकर और लोग भी जुड़ने लगे। रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित, आर्मी केे रिटायर मेडिकल ऑफिसर मनोज पांडे के साथ अन्य लोग इस काम में जुड़े और धीरे-धीरे शहर के पांच ऐसे स्थानों पर जहां पर गरीब मजदूरों को झोपड़ियां थीं वहां पर नियमित तौर पर गरीब पाठशाला शुरू कर दी गई।
स्कूल से आते-जाते बच्चों को देखा तो लगा इन्हें भी पढ़ना चाहिए और काम शुरू कर दिया
मैं शासकीय माध्यमिक विद्यालय बड़ोरी, मुरार में पदस्थ हूं। विद्यालय का कार्य पूर्ण करने के बाद जब मैं अपने घर के लिए निकलता था तब मुझे साइंस कॉलेज के सामने बनी मजदूरों की झोपड़ियों में रहने वाले उनके बच्चे खेलते हुए दिखते थे। मैंने उन बच्चों से जाकर पूछा कि आप स्कूल में पढ़ते हो क्या, उन्होंने जवाब दिया नहीं। मैंने उनके माता-पिता से बात की तो पता चला वह विभिन्न जिलों से यहां मजदूरी के लिए आते हैं और बाद में अपने घर चले जाते हैं। मन में विचार आया कि इन बच्चों को भी पढ़ना चाहिए।
कोरोना संक्रमण की वजह से विद्यालय बंद थे। लेकिन स्कूलों का स्टाफ प्रतिदिन स्कूल जाता था और अपना घर अपना विद्यालय कार्यक्रम के तहत बच्चों को मार्गदर्शन देने के लिए उनके घरों पर भी जाना पड़ता था। इसी तरह मैंने सोचा कि इन बच्चों के घर पर ही जाकर इनको पढ़ाया जाए। इसके बाद 4 बच्चों के साथ यह गरीब पाठशाला साइंस कॉलेज के बाहर 16 जून को शुरू हो गई।
इसके बाद सेवानिवृत्त व्याख्याता ओपी दीक्षित जुड़े और उन्होंने विवेकानंद नीड्म पर भी मजदूराें की झोपड़ियों के बाहर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। इसके बाद किशनबाग बहोड़ापुर, बेटी बचाओ चौराहा कंपू और बिरला नगर स्टेशन के पास झोपड़ियों के बाहर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसमें रिटायर व्याख्याता, डाइट ओपी दीक्षित मार्गदर्शन कर रहे हैं। एक्सआर्मी मेन मनोज पांडे, स्वयंसेवक कपिल झा, छात्र मृदुल शर्मा, साहिल खान और रेनू पचौरी इन पांच गरीब पाठशालाओं में पढ़ाने में मदद कर रहे हैं। अब इन बच्चों को स्टेशनरी, ड्रेस देने के लिए समाजसेवी लोग आगे आने लगे हैं। -जैसा शिक्षक बृजेश शुक्ला ने बताया।