3 ब्लड बैंक ने 4 महीने में 301 मरीजों को दिया प्लाज्मा दलालों से कितने लोगों ने खरीदे, यह पता करना चुनौती

Posted By: Himmat Jaithwar
12/14/2020

ग्वालियर। ग्वालियर में जेएएच, श्री और इमरजेंसी ब्लड बैंक से पिछले चार महीने में कुल 301 कोरोना संक्रमितों काे प्लाज्मा दिए गए, लेकिन घटिया प्लाज्मा बनाने वाले अजय शंकर त्यागी ने 150 प्लाज्मा बेचने की जानकारी पुलिस काे दी है। अब ये सवाल है कि शहर में कुल कितने काेराेना संक्रमिताें लाेगाें काे प्लाज्मा चढ़ाए गए। इनमें से कितने मरीजाें के परिजन ने दलाल अजय शंकर और उसके रैकेट से जुड़े लोगों से प्लाज्मा खरीदे और ऐसे प्लाज्मा चढ़ाने के बाद संक्रमित मरीज जान बची या चली गई।

ब्लड बैंक से मांगा प्लाज्मा के लेनदेन का रिकॉर्ड
सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने शहर में संचालित सभी ब्लड बैंक संचालकों को नोटिस जारी कर उनके यहां डोनेट हुए ब्लड या प्लाज्मा के साथ उनके द्वारा किस अस्पताल में भर्ती किस मरीज को कितना प्लाज्मा और ब्लड जारी किया, ये जानकारी मांगी है। कुछ ब्लड बैंक संचालकों ने सीएमएचओ की टीम को अपना रिकॉर्ड दे दिया है। सोमवार को भी शेष बची ब्लड बैंक पर जांच करने टीम जाएगी।

कहां से कितने प्लाज्मा जारी किए गए
जेएएच ब्लड बैंक- यहां ठीक हाे चुके 94 काेराेना संक्रमिताें ने प्लाज्मा डोनेट किया। एक प्लाज्मा से ब्लड बैंक ने दो-दो यूनिट प्लाज्मा तैयार किए और मरीजों को दिए। ये प्लाज्मा सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल में भर्ती मरीजाें काे मुफ्त व निजी अस्पतालाें में इलाज करा रहे मरीजाें काे 10 हजार रुपए प्रति बैग के मान सेे दिए गए। दो मरीज ऐसे थे कि जिनसे एक-एक यूनिट प्लाज्मा बना। इस तरह जेएएच ने 194 मरीजों को प्लाज्मा दिया।

श्री ब्लड बैंक- 7 अक्टूबर से 4 दिसंबर तक 26 लोगों ने यहां प्लाज्मा डोनेट किया। इससे 51 मरीजों को प्लाज्मा दिया गया। एक यूनिट प्लाज्मा खराब हो गया।

इमरजेंसी ब्लड बैंक- यहां 1 नवंबर से 8 दिसंबर तक 230 यूनिट ब्लड डोनेट हुए। इसमें से 56 यूनिट प्लाज्मा मरीजों को दिया गया। साथ ही 151 लोगों को होल ब्लड व 229 मरीजों को पैक्ड सेल दिए गए।

नाेट- इस तरह तीन ब्लड बैंक से कुल 301 मरीजों को प्लाज्मा दिया गया है।

एक्सपर्ट व्यू: प्लाज्मा बढ़ाता है प्रतिरोधक एंटी बॉडी
कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के ब्लड में एंटी बॉडी बन जाते हैं जो कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करते हैं। ऐसे लोगों का प्लाज्मा जब किसी कोरोना पॉजिटिव को दिया जाता है तो उसमें भी कोरोना से लड़ने वाले एंटी बॉडी बन जाते हैं।- डॉ. केएस मंगल, विभागाध्यक्ष, पैथोलॉजी, जीआरएमसी

जानिए.. खून में क्या-क्या हाेते हैं तत्व
जब कोई व्यक्ति ब्लड डोनेट करता है तो उसके ब्लड से रेड सेल यानी होल ब्लड, प्लेटलेट और प्लाज्मा निकालकर मरीजों को दिए जाते हैं।

  • होल ब्लड... उन मरीजाें को दिया जाता है, जिनमें खून की कमी होती है।
  • प्लेटलेट... डेंगू सहित कुछ बीमारियों में मरीज के प्लेटलेट कम हो जाते हैं तो उसे प्लेटलेट चढ़ाने पड़ते हैं।
  • प्लाज्मा... जिन मरीजों को ब्लीडिंग अधिक होती है और वह रुकती नहीं है तो उन्हें प्लाज्मा देने की आवश्यकता पड़ती है।
  • जैसा कि जेएएच के ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. अरुण जैन ने बताया।

बार कोड सिस्टम लागू करने पर भी विचार
कालाबाजारी रोकने के लिए प्लाज्मा और ब्लड की थैली में बार कोड सिस्टम लागू कराने पर भी विचार किया जा रहा है। बार कोड सिस्टम लागू होने पर गड़बड़ी जल्द पकड़ में आ जाएगी।
-डॉ. मनीष शर्मा, सीएमएचओ

जांच में खुलासा: मनाेज गुप्ता काे दिए गए प्लाज्मा में नहीं था प्रोटीन
प्लाज्मा में 6 से 8 प्रतिशत प्रोटीन होना चाहिए
ग्वालियर | दतिया के व्यापारी मनोज कुमार गुप्ता के परिजन को दिया गया प्लाज्मा 90 फीसदी तक घटिया था। जीआरएमसी के पैथोलॉजी विभाग में हुई प्लाज्मा की जांच में यह सामने अाया है। पैथोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. केएस मंगल के मुताबिक, कोविड मरीजों को दिया जाने वाले प्लाज्मा में 6 से 8 प्रतिशत प्रोटीन होती है। घटिया प्लाज्मा तैयार करने वाले गिराेह के सरगना अजय शंकर त्यागी और उसके साथियों द्वारा मनोज कुमार गुप्ता के परिवार को दिए गए प्लाज्मा में महज 1.8 प्रतिशत प्रोटीन मिली।

विशेषज्ञों के मुताबिक प्लाज्मा का बैग अलग होता है, जिसमें 180 एमएल प्लाज्मा रहता है, लेकिन प्लाज्मा रैकेट ने जो प्लाज्मा बेचा था, वह सामान्य ब्लड वाले बैग में था। इस बैग में 350 एमएल प्लाज्मा मिला। डॉ. केएस मंगल ने बताया कि यह प्लाज्मा अधिक डायलूटिड कर दिया गया है।

एक यूनिट से बनाए गए 3 से 4 यूनिट प्लाज्मा
अजय शंकर त्यागी के रैकेट द्वारा बेचे गए प्लाज्मा में 1.8 प्रतिशत प्रोटीन है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसमें नॉर्मल सेलाइन या डिस्टिल्ड वाटर मिलाया गया होगा। वह भी इस मात्रा में मिलाया गया है कि एक यूनिट प्लाज्मा से 3 से 4 यूनिट प्लाज्मा बनाया गया हो। इस तरह से इस रैकेट द्वारा बेचे जा रहे प्लाज्मा में सिर्फ प्रोटीन कम पानी अधिक रहता था।

जांच न होने से ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय पर भी उठे सवाल
जिले में संचालित ब्लड बैंक ड्रग इंस्पेक्टर के अधीन आते हैं। इनकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई करना ड्रग इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी है। पिछले कई माह से एक भी बार ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा इनका निरीक्षण नहीं किया गया। रविवार को चार ब्लड बैंक में प्रशासन ने कार्रवाई की। इनमें से रेडक्रॉस सहित तीन ब्लड बैंक में कई कमियां मिलीं।



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