भोपाल। नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे आंदोलन के बीच मध्य प्रदेश सरकार किसानों पर ज्यादा फोकस कर रही है। प्रदेश में किसानों और राइस मिल के बीच भुगतान को लेकर होने वाले विवादों का निराकरण करने के लिए सुलह बोर्ड का गठन किया जा रहा है। जिसमें तहसीलदार,एसडीओ कृषि के साथ किसान व राइस मिल संचालक सदस्य रहेंगे। यह बोर्ड नए कृषि कानून के तहत बनाया जा रहा है। इससे पहले एसडीएम किसानों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करेंगे। बालाघाट एसडीएम ने लांजी के किसानों की शिकायत पर पलक राइस मिल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। नए कानून के तहत यह दूसरा मामला है जिसमें राइस मिल संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इससे पहले होशंगाबाद के किसानों की धान खरीदने का एग्रीमेंट करने के बावजूद दिल्ली की एक कंपनी ने हाथ पीछे खींच लिए थे। जब सरकार एक्शन में आई तो कंपनी, किसानों से धान खरीदने राजी हो गई थी। ऐसे मामलों का निराकरण करने के लिए अब सरकार सुलह बोर्ड गठित कर रही है।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 की धारा 8 के तहत सुलह बोर्ड का गठन किया जा रहा है। दरअसल बालाघाट जिले के लांजी के किसानों से ग्राम घोटी स्थित पलक राइस मिल द्वारा धान की फसल खरीदी थी, लेकिन इसका भुगतान नहीं किया गया। इसको लेकर बालाघाट एसपी को शिकायत दी थी। रविवार को यह मामला मुख्यमंत्री कार्यालय के संज्ञान में आया। इसके बाद एसडीएम लांजी ने किसानों की शिकायत पर कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण अधिनियम 2020 की धारा 8 के तहत पलक राइस मील के प्रोपराइटर अतुल आसटकर प्रकरण दर्ज किया।
सीएम ने कहा- कांट्रैक्ट फार्मिंग के तहत कार्रवाई जारी रहेगी
होशंगाबाद जिले के पिपरिया में कांट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर नए कानूनों के तहत किसानों को न्याय दिलाने के लिए हुए एक्शन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कांट्रैक्ट फार्मिंग के तहत की गई कार्रवाई साबित करती है कि नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं। दरअसल, पिपरिया में फार्च्यून राइस कंपनी ने किसानों से अनुबंध के बाद भी धान की खरीद नहीं की। इसको लेकर कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पराज पटेल के नेतृत्व में किसान अधिकारियों से मिले। इसके बाद कंपनी किसानों को कांट्रैक्ट के तहत भुगतान करने को राजी हुई।
किसानों को लेकर अलर्ट मोड में है सरकार
दिल्ली में चल रहे आंदोलन के मद्देनजर मप्र सरकार अलर्ट मोड में हैं। किसानों की समस्याओं का तत्काल निराकरण किया जा रहा है। शिकायतें मिलने पर अधिकारियों को तत्काल प्रभाव कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार की मंशा दूसरी तरफ बीजेपी नए कानून का फायदा समझाने लिए किसान सम्मेलन आयोजित कर रही है।