राजस्थान के गहलोत सरकार में सहयोगी भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) अपना समर्थन वापस लेगी। इस संबंध में पार्टी के संस्थापक छोटूभाई वसावा ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भाजपा-कांग्रेस एक है। BTP राजस्थान सरकार से समर्थन वापस लेगी।’ उन्होंने हाल ही में खत्म हुए पंचायत और जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस पर धोखेबाजी का आरोप लगाया है। BTP के दो विधायक हैं।
BTP क्यों लगाया विश्वासघात का आरोप
हाल ही में डूंगरपुर जिला परिषद के हुए चुनावों में 27 में से 13 BTP समर्थित सदस्यों ने जीत दर्ज की थी, जबकि जिला प्रमुख बनने के लिए बहुमत का आंकड़ा 14 है। राज्य में कांग्रेस की सरकार के साथ गठबंधन में शामिल BTP को उम्मीद थी कि वह इस बार कांग्रेस के समर्थन से अपना जिला प्रमुख बनाएगी।
BTP का आरोप है कि छोटी पार्टी को स्थानीय सरकार की सत्ता से दूर करने के लिए कांग्रेस ने प्रतिद्वंदी भाजपा से हाथ मिलाकर BTP समर्थक को हरा दिया। यहां कांग्रेस के समर्थन से भाजपा का प्रत्याशी जिला प्रमुख बना। 27 सीटों में से भाजपा को 8 और कांग्रेस को 6 सीटें मिली है।
जुलाई में BTP के दोनों विधायकों ने गहलोत सरकार को दिया था समर्थन
वर्तमान में 105 सदस्यों के साथ कांग्रेस की गहलोत सरकार राज्य में काबिज है। BTP के दो विधायक जो डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा और चौरासी सीट से आते हैं। इसी साल जुलाई में जब गहलोत सरकार गिराने का घटनाक्रम चला था, तब इन दोनों विधायकों ने कांग्रेस सरकार को अपना समर्थन दिया था।
लेकिन अब समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। गहलोत-पायलट गुट का विवाद पार्टी आलाकमान हल करा दिया है। ऐसी स्थिति में अगर BTP गहलोत सरकार से समर्थन वापस लेती भी है, तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। क्योंकि 105 कांग्रेस विधायकों के अलावा सरकार के पास 2 CPIM, एक राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और 13 में से 10 से ज्यादा निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। वर्तमान में बहुमत के लिए 99 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है।