भोपाल। भाेपाल की अगली महापाैर ओबीसी महिला वर्ग से हाेगी। इंदाैर और जबलपुर में सामान्य वर्ग के प्रत्याशियाें के लिए माैका रहेगा। ग्वालियर में भी अगली मेयर महिला ही हाेगी। नगर निगम के महापाैर और नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए बुधवार काे हुए आरक्षण में यह साफ हाे गया है। भाेपाल में 1999 के बाद महापाैर पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हुआ है। पिछले तीन में से दाे बार अनारक्षित और एक बार महिला के लिए आरक्षित था, इसलिए चक्रानुक्रम में इसका ओबीसी हाेना तय था। भाेपाल सहित दाे निगम ओबीसी महिला, जबकि दाे ओबीसी के लिए रिजर्व हुई हैं। उज्जैन एससी और मुरैना एससी महिला के लिए आरक्षित है।
छिंदवाड़ा नगर निगम की सीमा वृद्धि के कारण उसमें अनुसूचित जनजाति आबादी बढ़ने से महापाैर का पद एसटी के लिए रिजर्व हुआ है। पिछली बार एसटी महिला के लिए आरक्षित सिंगराैली अब अनारक्षित हाे गया है। इंदौर, जबलपुर, रीवा और सिंगरौली इस बार अनारक्षित हैं, जबकि पिछली बार पांच निगमों के महापौर पद अनारक्षित थे। कुल 16 नगर निगम में से अलग-अलग श्रेणी में आठ महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इनके साथ 99 नगर पालिकाओं और 292 नगर परिषदाें के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया की गई। नगर पालिकाओं में 50 सीट अलग-अलग श्रेणी में महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं। इनमें 26 महिला, 13 ओबीसी महिला, आठ एससी महिला और तीन एसटी महिला के लिए रिजर्व की गईं। अन्य पालिकाओं में 27 अनारक्षित, 12 ओबीसी, सात एससी और तीन एसटी के खाते गई हैं।
मंडीदीप-बैरसिया नपा अध्यक्ष की सीट महिला के लिए अारक्षित
मंडीदीप और बैरसिया नगर पालिका में अगली अध्यक्ष महिला हाेगी। बुधवार काे हुए आरक्षण में ये दाेनाें सीटें महिला के खाते में गईं हैं। भाेपाल संभाग में भाेपाल नगर निगम सहित कुल 23 निकायाें में अलग-अलग श्रेणी में महिलाओं काे महापाैर व अध्यक्ष पद के लिए माैका मिलना तय है। इसके अलावा 20 निकायाें में से पांच ओबीसी और दाे एससी के लिए रिजर्व रहेंगी। अन्य निकाय में अध्यक्ष पद अनारक्षित हाेगा। नगर पालिकाओं में मंडीदीप व बैरसिया के साथ विदिशा व राजगढ़ महिला, रायसेन, आष्टा व ब्यावरा ओबीसी महिला और सिराेंज ओबीसी के लिए आरक्षित हैं। गंजबसाैदा, बेगमगंज, सीहाेर, सारंगपुर व नरसिंहगढ़ अनारक्षित हैं।
नगर पालिका आरक्षण
अनारक्षित : सारंगपुर, सिवनीमालवा, बेगमगंज, टीकमगढ़, नौगांव, पोरसा, अशोकनगर, डोंगर परासिया, कोतमा, सिहोरा, पसान, सीधी, बड़नगर, गंजबासोदा, नरसिंहगढ़, सिहोर, पीथमपुर, बड़वाह, सेंधवा, नरसिंहपुर, आगर, शाजापुर, दमोह, खाचरोद, उमरिया, गाडरवारा, अनूपपुर।
महिला : बैतूल, विदिशा, राजगढ़, पिपरिया, पन्ना, खरगोन, गढ़ाकोटा, बालाघाट, नैनपुर, धनपुरी, महिदपुर, शिवपुरी, बैरसिया, मुलताई, देवरी, दतिया, गुना, वारासिवनी, चौरई, सौंसर, अमरवाड़ा, करेली, नीमच, अम्बाह, मंडीदीप, शुजालपुर।
ओबीसी महिला : जावरा, छतरपुर, धार, सनावद, नेपानगर, आष्टा, ब्यावरा, हरदा, पांढुर्ना, श्योपुर कला, होशंगाबाद, रायसेन, मंदसौर।
ओबीसी : सबलगढ़, सिरोंज, शहडोल, पनागर, राघोगढ़, जुन्नारदेव, मनावर, मैहर, सिवनी, मंडला, रहली, इटारसी।
एससी महिला : दमुआ, गोहद, सारणी, खुरई, गोटेगांव, नागदा, भिंड, हटा
एससी : मकरोनिया, डबरा, आमला, चंदेरी, बीना, लहार, महाराजपुर
एसटी महिला : अलीराजपुर, बड़वानी, बिजुरी
एसटी : झाबुआ, पाली, मलाजखंड
उज्जैन एससी, मुरैना एससी महिला के लिए
कहां-क्या स्थिति
- अनारक्षित : इंदौर, जबलपुर, रीवा, सिंगरौली
- महिला : ग्वालियर, देवास, बुराहनपुर, सागर, कटनी
- ओबीसी महिला : भोपाल, खंडवा
- ओबीसी : रतलाम, सतना
- एससी महिला : मुरैना
- एससी : उज्जैन
- एसटी : छिंदवाड़ा
पिछली बार की स्थिति
- अनारक्षित : भोपाल, ग्वालियर, खंडवा, देवास, कटनी
- महिला : जबलपुर, रतलाम, रीवा, सतना
- ओबीसी महिला : इंदौर, छिंदवाड़ा
- ओबीसी : बुरहानपुर, सागर
- एससी : मुरैना
- एससी महिला : उज्जैन
- एसटी महिला : सिंगरौली
भोपाल में कब क्या रही स्थिति
1999 - ओबीसी महिला
2004 - अनारक्षित
2009 - महिला
2014 - अनारक्षित
टिकट के लिए फिर होगी रस्साकशी
भोपाल में दावेदार उभरे... दो पूर्व महापौर के रास्ते खुले, नए चेहरे भी आएंगे सामने
भोपाल महापौर के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा शुरू हो जाएगी। कहा जा रहा है कि इस आरक्षण में कांग्रेस से पूर्व महापौर विभा पटेल और भाजपा से विधायक व पूर्व महापौर कृष्णा गौर के रास्ते खुल गए हैं। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मीडिया से चर्चा में कहा है कि महापाैर पद के लिए विधायक प्राथमिकता में नहीं हैं। साफ है कि कृष्णा गाैर के लिए सहमति के आसार कम ही हैं। यदि राजनीतिक दलों के आंतरिक समीकरणों के कारण इन्हें टिकट नहीं मिले तो नए चेहरे सामने आएंगे। विभा पटेल 1999 में महापौर बनीं थीं। वे भोपाल की पहली महिला महापौर थीं। उन्होंने भाजपा की राजो मालवीय को हराया था।
दिसंबर 2003 में भाजपा सरकार आने पर कार्यकाल पूरा होने से कुछ माह पहले उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर 2009 में भोपाल की महापौर बनीं। खास बात यह है कि भाजपा ने कृष्णा गौर को अनारक्षित महिला सीट होने पर महापौर का टिकट दिया था। उन्होंने कांग्रेस की आभा सिंह को चुनाव हराया था। बाबूलाल गौर के निधन के बाद कृष्णा गौर गोविंदपुरा क्षेत्र से विधायक हैं। तकनीकी तौर पर विधायक के महापौर निर्वाचन में कोई कानूनी बाधा नहीं हैं। इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय और मालिनी गौड़ दोनों ही इसके उदाहरण हैं।
एक चर्चा यह भी है कि भाजपा संघ परिवार के किसी अनुषांगिक संगठन में सक्रिय किसी कम चर्चित महिला को उम्मीदवार बना सकती है। 1999 में विभा पटेल के खिलाफ राजो मालवीय भी दुर्गा वाहिनी से आईं थीं, हालांकि वे चुनाव जीत नहीं सकीं। कांग्रेस में संतोष कंसाना, शबिस्ता जकी और रईसा मलिक को जरूर दावेदार माना जा रहा है।
दोनों ही पार्टियों के लिए आसान नहीं रहा है भोपाल महापौर का चुनाव
भोपाल महापौर का चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए आसान नहीं रहा है। 1994 में भाजपा के उमाशंकर गुप्ता पार्षदों के बीच से महापौर चुने गए थे। उसके बाद 1999 से महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से शुरू हुआ तो 1999 और 2004 में यह पद कांग्रेस के खाते में चला गया। 2009 और फरवरी 2015 में भाजपा ने जीत दर्ज कराई। इस बार राजधानी की छह विधानसभा सीटों में से तीन भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य और भोपाल दक्षिण-पश्चिम से कांग्रेस के विधायक हैं। इसलिए भाजपा के लिए राह बहुत आसान नहीं कही जा सकती।