इंदौर। दिग्विजय सिंह कोई डॉक्टर ताे हैं नहीं, जिस विषय की अपने काे नॉलेज नहीं हाे, उस बात पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, इसलिए मैं भी नहीं करता। वे सीनियर लीडर हैं, इसलिए उन्हें सलाह देता हूं कि आपको यदि इस बारे में अल्पज्ञान है, तो टिप्पणी नहीं करें। यह पलटवार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह के कोरोना पर दिए बयान को लेकर किया है। दिग्विजय ने कहा था कि भारत किसी वैक्सीन के लिए प्रयोगशाला नहीं हो सकता है।
विदेशों से हो रहा किसान आंदोलन का समर्थन, इसकी तह तक जाने की जरूरत
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन पर कहा कि देश में जो किसान आंदोलन चल रहा है, उसमें मुझे लगता है कि 90 प्रतिशत किसान उससे दूर हैं। 10 प्रतिशत किसान आंदोलन में शामिल हैं। इसको जो ताकते सपोर्ट कर रही हैं, वो इस देश के लिए आलार्मी है। विदेश में किसान आंदोलन का समर्थन हो रहा है। उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड के राष्ट्रपति ने किसान आंदोलन का समर्थन किया और कनाडा के राष्ट्रपति ने समर्थन किया। कनाडा के राष्ट्रपति ने समर्थन क्यों कि इसकी तह में जाना चाहिए। ब्रिटेन में भारतीय दूतावास के सामने किसान आंदोलन का समर्थन किया। ये कौन लोग हैं, इसकी गहराई में जाकर सोचना चाहिए कि किसानों के नाम पर राजनीति कौन कर रहा है।
विजयवर्गीय ने कहा - इससे अच्छा कानून हो ही नहीं सकता है। ये किसानों की समृद्धि के लिए है, उनकी आमदनी को दोगुना करने वाला कानून है। कानून में जो प्रावधान हैं, वे कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल थे, पर किसानों ने कांग्रेस पर विश्वास नहीं किया और मोदी जी ने उन सब प्रावधानों को लागू कर दिया। ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि उनके हाथ का हथियार भी छीन लिया गया है, इसलिए वे किसानों का भड़काने का काम कर रहे हैं। किसानों को भी इसके बारे में सोचना चाहिए।
यह कहा था दिग्विजय सिंह ने....
ऐसे समय में जो प्रोटोकाॅल है, उसके साथ कंप्रोमाइज किया जा सकता है, लेकिन इसमें जो होड़ लग गई है, कौन सी फार्मास्युटिकल कंपनी में कौन से वैक्सीन का यूज किया जाएगा, जिससे हमें बचना चाहिए। हरियाणा के मंत्री ने शोहरत पाने के लिए वैक्सीन लगवाया और उन्हें कोविड हो गया। अब कह रहे हैं कि सेकंड डोज लेना जरूरी है। कोई भी वैक्सीन आता है, तो उसे ह्यूमन पर ट्रायल के पहले एनिमल पर किया जाता है। हालांकि यहां सीधे ह्यूमन पर किया जा रहा है। हालांकि इस पर सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि भारत किसी वैक्सीन के लिए प्रयोगशाला नहीं हो सकता।