उज्जैन। उज्जैन में दुष्कर्म के आरोपी आरक्षक को बचाने के लिए खाकी एक फिर दागदार हो गई। साथी आरक्षकों ने ऐसा षडयंत्र रचा कि फोरेसिंक जांच में ज्यादती कतई साबित नहीं होती। इस तरह पुलिस के जुटाए साक्ष्य कोर्ट में फेल हो जाते। आरोपी अदालत से साफ बच जाता, लेकिन समय रहते आरोपी और साथियों की करतूतें पुलिस के आलाधिकारियों को पता चल गईं। मामले में एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने जांच बैठा दी है। बोले, दोषी मिलने पर कार्रवाई होगी।
यह है मामला
उन्हेल की रहने वाली एक युवती नीलगंगा थाना क्षेत्र के न्यू अशोक नगर में किराए के मकान में रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही है। करीब तीन साल पहले उसकी दोस्ती पड़ोस में रहने वाले पुलिस आरक्षक अजय अस्तेय से हो गई। उसने युवती को शादी का सब्जबाग दिखाया और तीन साल तक उसका शोषण करता रहा। बीते शुक्रवार को युवती को जब यह पता चला कि अजय की सगाई किसी अन्य लड़की से होने वाली है तो उसने अजय के खिलाफ नीलगंगा थाने में दुष्कर्म का केस दर्ज करा दिया। पुलिस ने केस दर्ज होने के कुछ ही घंटे बाद अजय को नागझिरी में शादी समारोह से लौटते समय गिरफ्तार कर लिया था। इसी मामले में दुष्कर्म के आरोपी आरक्षक अजय को बचाने के लिए उसके साथी आरक्षकों ने साजिश रची थी।
ये थी साजिश- अजय के बजाए उसके साथी ने दिए शुक्राणु और खून के नमूने
दरअसल, पुलिस आरोपी अजय को शनिवार को मेडिकल कराने के लिए जिला अस्पताल ले आई थी। परीक्षण के बाद अजय को जेल रवाना कर दिया जाता। मेडिकल के समय अजय के दो साथी आरक्षक भी आए थे। डॉक्टरों की टीम मेडिकल परीक्षण के लिए अजय के शुक्राणु और ब्लड सैंपल लेती। अजय के शुक्राणु व ब्लड सैंपल और पीड़िता के वैजाइनल स्वैब की स्लाइड एफएसएल भोपाल भेजी जाती। जहां दोनों के डीएनए प्रोफाइल का मिलान होता। प्रोफाइल मैच करते ही साबित हो जाता कि अजय ने युवती के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। अगर यह प्रोफाइल मैच नहीं करता तो पुलिस कोर्ट में यह साबित करने में फेल हो जाती कि अजय ने युवती के साथ रेप किया है। इस तरह से आरोपी अजय साक्ष्यों के अभाव में अदालत से बच जाता। पुलिस के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक अस्पताल में अजय के स्थान पर उसके साथी आरक्षक ने पहचान छिपाते हुए अपने ब्लड और शुक्राणु के सैंपल दिए। ताकि एफएसएल में उसकी डीएनए प्रोफाइल पीड़िता के डीएनए प्रोफाइल से मैच नहीं करे। लेकिन अस्पताल के एक स्वास्थ्यकर्मी को आरक्षकों की साजिश का पता चल गया। उसने अपने वरिष्ठ अधिकारी को इसकी जानकारी दी। उन्होंने इस बारे में पुलिस के उच्चाधिकारियों से बात की।
इसीलिए शनिवार के बजाए रविवार को जेल भेजा गया अजय
पुलिस सूत्रों की मानें तो आरक्षकों की इस साजिश का जब उच्चाधिकारियों का पता चला तो उन्होंने अजय को शनिवार को जेल नहीं भेजा। रविवार को एक सब इंस्पेक्टर की निगरानी में आरोपी आरक्षक अजय का फिर से मेडिकल परीक्षण कराया गया। उसके बाद उसे सेंट्रल जेल भैरवगढ़ भेजा गया।