शहडोल। शहडोल में मासूमों की मौतों की घटनाओं के 11 दिन बीतने के बाद आखिरकार स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी सोमवार को वहां के लिए रवाना हो रहे हैं। इस बीच में दो जांच रिपोर्ट आ चुकी हैं, जिनमें डॉक्टरों को क्लीन चिट दी गई, जबकि वहां की कमियों पर सवाल उठाए गए। यह भी कहा गया कि परिजनों ने बच्चों को अस्पताल लाने में देरी की। वे गंभीर थे। शहडोल जाने से पहले ‘भास्कर’ ने उनसे कमियों और बच्चों की मौतों पर बात की।
दो जांच दल जा चुके हैं। भोपाल से भी जाना वाला है। न कोई दोषी निकल रहा है न मौत रुक रही, फिर ये आडंबर क्यों?
इलाज में कोई कमी नहीं रखी गई। दवाइयों से लेकर इंजेक्शन तक प्रोटोकॉल सही था। जांच में यह बात सामने आ रही है कि ज्यादातर मामलों में परिजनों ने सही समय पर बच्चों को अस्पताल नहीं भेजा या लाए। फिर भी मैं खुद कल जा रहा हूं। जो भी कमियां या दोषी मिलेगा, नहीं छोड़ूंगा। कलेक्टर, सीएमएचओ से लेकर सिविल सर्जन तक इसमें शामिल हैं।
अब तक तो चीजें बदल गई होंगी?
अस्पताल है। जो कुछ बदला होगा, जनता के सामने है। जनता से भी बात करूंगा।
मौतों का मुख्य कारण क्या सामने आ रहा?
पहले आशा कार्यकर्ता व एएनएम घर-घर सर्वे करते थे। यह कोरोना के कारण प्रभावित हो गया था। यह बड़ी वजह है कि समय पर बच्चों को इलाज नहीं मिल पा रहा। इसलिए आशा कार्यकर्ताओं, एएनएमके साथ दो एंबुलेंस दी जा रही हैं। कुछ बच्चे पैदा होने के साथ बीमार होते हैं। या प्री-मैच्योर होते हैं। कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें भी बचाया जाए।
क्या डॉक्टरों की कोई गलती नहीं है, वहां तो इनकी भी कमी है? जांच रिपोर्टें तो सबको क्लीन चिट दे रही हैं? क्या लीपा-पोती की तैयारी है?
शहडोल मेडिकल कॉलेज के चार डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
फिर भी अब भोपाल से डॉक्टर शहडोल भेजे जा रहे हैं। जबलपुर मेडिकल कॉलेज दिन में एक घंटे अपनी सेवाएं टेलीमेडिसिन के जरिए देंगे। एम्स भोपाल से भी बात की जा रही है। जांच रिपोर्ट की जानकारी है। जैसा आप सोच रहे हैं, वैसा कुछ नहीं होने दूंगा।
इन सब व्यवस्थाओं के बाद क्या अब आप बच्चों की मौत के रुकने का भरोसा दिला सकते हैं?
इसकी गारंटी तो मैं क्या कोई भी नहीं दे सकता, लेकिन यह जरूर है कि बच्चों की जान बचाने में लगने वाली तमाम चीजों की व्यवस्था करूंगा। एक 20 बैड का एसएनसीयू दे दिया है। एंबुलेंस भी होंगे, ताकि रैफर के दौरान आने-जाने में दिक्कत न हो। वेंटीलेटर भी बढ़ा दिए हैं। मैं इन व्यवस्थाओं का अवलोकन भी करूंगा। पहले क्या था उसे जांचने भोपाल से भी एक स्वतंत्र दल जाएगा।
जनवरी 2020 में भी बच्चों की मौत हुई थी, तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट गए थे। तब से यह सिलसिला जारी है। पहले का मुझे पता नहीं। बच्चों की मौत न हो, इसके भरसक प्रयास करूंगा।