कोंडागांव: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में किसान धनीराम की आत्महत्या मामले में पटवारी की लापरवाही सामने आने के बाद कलेक्टर पुष्पेंद्र सिंह मीणा ने उसे निलंबित कर दिया है. कलेक्टर की जांच में पाया गया है कि धनीराम 100 क्विंटल धान बेचना चाह रहा था, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में रकबा घट जाने की वजह से उसे सिर्फ 11 क्विंटल ही धान बेचने का टोकन दिया गया था.
धनीराम पर था 60 हजार रुपए का लोन
जानकारी के मुताबिक किसान धनीराम के ऊपर कोऑपरेटिव बैंक का 61932 रुपए कर्ज था. जब उसे 100 क्विंटल की जगह 11 क्विंटल धान बेचने का टोकन मिला तो चिंतित हो गया. इससे आहत होकर उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. हालांकि कलेक्टर की जांच में यह भी कहा गया है कि धनीराम के बेटे की 4 वर्ष पहले मौत हुई थी. जिसकी वजह से वह हमेशा नशे में रहता था. साथ ही वह सदमे में भी चला गया था.
पूर्व मंत्री लता उसेंडी ने सरकार पर उठाया था सवाल
किसान धनीराम की आत्महत्या के बाद से प्रदेश की सियासत गरमा गई है. मामले में शनिवार को बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री लता उसेंडी ने सरकार पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि अगर भूमि की गिरदावरी रिपोर्ट सही होती तो किसान आत्महत्या नहीं करता.
परिजनों ने लगाया था यह आरोप
किसान धनीराम के पास 6.70 एकड़ का भूमि स्वामित्व पट्टा है, जिस पर वह लगभग 100 क्विंटल धान बेचने की तैयारी में था. काम में व्यस्त होने के चलते उसने अपने रिश्तेदार प्रेमलाल नेताम को जब टोकन कटाने लैंपस सलना भेजा तो पता लगा कि वह केवल 11 क्विंटल धान ही बेच सकेगा. इससे वह चिंतित हो गया, उसमें समझ नहीं आ रहा था कि वह को-ऑपरेटिव बैंक और अन्य व्यापारियों का कर्ज कैसे चुकाए, इसलिए उसने सुबह खेत की ओर जाकर फांसी लगा ली.