भोपाल। कोरोना से बचाव की वैक्सीन के टीकाकरण के लिए मप्र ने तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार यदि पहले चरण में मप्र का चयन करता है तो सबसे पहले 5 लाख हेल्थ वर्कर (सरकारी निजी अस्पताल के डॉक्टर, फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स और स्टॉफ) यह टीका लगाया जाएगा। इसके लिए जिले से लेकर ब्लॉक तक तैयारी है। इसके बाद 50 साल से अधिक आयु के लोगों को यह टीका लगेगा, फिर नंबर नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज यानि डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कैंसर के मरीजों का आएगा।
टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य के साथ आयुष, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास, स्कूल, गृह व अन्य संबंधित विभागों का सहयोग लिया जाएगा, ताकि किसी भी तरह की दिक्कत न हो।
टीकाकरण के लिए मुख्य सचिव की स्टीयरिंग कमेटी से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव की स्टेट टॉस्क फोर्स और ब्लॉक लेवल की तैयारी हो गई है। शासन स्तर पर 2500 से अधिक लोगों की ट्रेनिंग पूरी हो गई। मप्र में जैसे ही वैक्सीन आएगी, उसके एक सप्ताह के भीतर लोगों को लगाना प्रारंभ कर दिया जाएगा।
मप्र बाकी राज्यों से आगे क्यों?
राज्य टीकाकरण अधिकारी व स्वास्थ्य विभाग के एडीशनल डायरेक्टर संतोष शुक्ला ने बताया कि मप्र के टीकाकरण सिस्टम का मूल्यांकन यूनिसेफ और भारत सरकार कर चुके हैं। मप्र ने ‘ई-विन’ मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए ही 25 लाख वैक्सीन को एक्सपायरी होने से बचाया था, जिससे खजाने को 9 करोड़ 52 लाख रुपए की चपत लगने से बच गई। इसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया था। इसके अलावा देश में लांच हुई वैक्सीन में से 11 मप्र में पहले आईं। कोरोना की वैक्सीन 12वीं होगी। मप्र की सक्सेस स्टोरी के आधार पर ही देश में कोरोना वैक्सीन की निगरानी के लिए ‘को-विन’ एप सिस्टम लागू किया जा रहा है। शुक्ला डब्ल्यूएचओ में दस साल अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
फोकस ‘एसटीडी’ पर
राज्य कोल्ड चेन अधिकारी इंजी. विपिन श्रीवास्तव ने बताया कि 4 से 5 करोड़ डोज रखने की क्षमता है। केंद्र सरकार 415 कोल्ड चैन उपकरण, 3 वॉकिंग कोल्ड रूम और 5 वॉकिंग फ्रीजर और देने जा रहा है। इनमें 20 से 25 लाख डोज को रखा जा सकता है। मप्र के पास 12 वॉकिंग कोल्ड रूम पहले से हैं। इनमें ही ढाई करोड़ डोज आ जाएंगी। अब ‘एसटीडी’ पर फोकस है, यानी स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट एंड डिस्ट्रीब्यूशन।
10 हजार टीकाकरण केंद्र हैं, ई-विन से मॉनिटरिंग
इस समय मप्र के पास दस हजार टीकाकरण केंद्र हैं। जिनमें 10 तरह की वैक्सीन लगाई जा रही है। इसकी मॉनिटरिंग का ‘ई-विन’ (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) सिस्टम से हो रही है। इसी आधार पर केंद्र सरकार ने ‘को-विन’ सिस्टम बनाया है।
मप्र की ऐसी तैयारी
प्रदेश में 1200 फोकल कोल्ड चैन प्वॉइंट हैं, इसे 63 और बढ़ाया जा रहा है। इनमें 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर 40 से 80 हजार तक डोज रखे जा सकते हैं। यदि यहां किसी बड़े डिफाल्ट की वजह से बिजली भी चली जाती है तो वैक्सीन को 60 घंटे तक कोई नुकसान नहीं होगा।