आल्हा गायन में बूंदीगढ़ की लड़ाई का किया वर्णन

Posted By: Himmat Jaithwar
12/5/2020

भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में आज ‘गमक’ श्रृंखला के अंतर्गत शीलू सिंह राजपूत व साथी कलाकारों ने आल्हा गायन प्रस्तुत किया। वहीं, अग्नेश केरकेट्टा और साथियों ने उरांव जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति दी।अग्नेश केरकेट्टा और साथियों ने हरे किन्दा कदीन, ऊंची नीच टोंगरी, कूलाही परेता, कुमड़खा पुइदा आदि उरांव जनजाति के पारंपरिक गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी।

प्रस्तुति में केरकेट्टा के साथ मंच पर लिली खलखो, सीमा तिग्गा, सीमा तिर्की, मधुरी टोप्पो, हेमलता कुजूर, एलिजावेद कुजूर, आशा सेस्स, नेहा सेस्स, दुलारी तिर्की ने व वादन में पुजिन तिर्की, डेविड टोप्पो, अलेकजेंडर कुजूर व स्तानिसलास खलखो ने संगत दी। दूसरी प्रस्तुति शीलू सिंह राजपूत व साथी कलाकारों ने आल्हा गायन की दी, जिसमें बूंदीगढ़ की लड़ाई दिखाई गई।
कलाकार परिचय

शीलू सिंह राजपूत ने करीब 15 वर्ष की आयु से ख्यात आल्हा गायक स्व. लल्लू बाजपेयी से आल्हा गायन की शिक्षा लेना आरंभ कर दिया था। सुश्री राजपूत देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। इन्हें लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार, स्वयं अवार्ड और हाल ही में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा लोक निर्मला सम्मान प्राप्त हुआ है।



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