भोपाल। प्रदेश में एक-दो दिन में बड़ा सियासी फैसला हो सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ शुक्रवार को बैठक हुई। इस दौरान निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर मंथन किया गया। उपचुनाव के नतीजों के 24 दिन बाद इन तीनों नेताओं की मुलाकात मंत्रिमंडल और भाजपा संगठन के विस्तार को लेकर अहम मानी जा रही है।
दरअसल, सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत चुनाव जीत गए हैं, लेकिन परिणाम आने से पहले छह माह का कार्यकाल पूरा होने से उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। यदि उन्हें मंत्री बनाया जाता है, तो पहले उन्हें पद की शपथ लेना होगी। हालांकि सीएम हाउस में हुई बैठक को प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सामान्य बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी बैठकों में संगठन और सरकार के कामकाज पर चर्चा सामान्य बात है।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में दोनों पूर्व मंत्रियों तुलसी सिलावट, गोविंद राजपूत के अलावा चुनाव हारे तीन मंत्रियों इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एदलसिंह कंसाना को सरकार या निगम मंडलों में जगह देने को लेकर चर्चा हुई। हालांकि शिवराज कह चुके हैं कि अभी मंत्रिमंडल विस्तार का इरादा नहीं है। जब करेंगे, तो अटकलें बंद हो जाएंगी, लेकिन सिंधिया के दोनों पूर्व मंत्रियों (सिलावट-राजपूत) को प्राथमिकता से कैबिनेट का दर्जा फिर से देने का दबाव भी है। इस सिलसिले में शिवराज-सिंधिया की औपचारिक मुलाकात हो चुकी है।
अनूपपुर के भाजपा नेता रामलाल रौतेल को किसी निगम- मंडल में जगह मिल सकती है। बैठक में भाजपा की नई टीम को लेकर भी मंथन हुआ। बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद भदौरिया, उषा ठाकुर और बृजेंद्र प्रताप सिंह को संगठन से बाहर करने पर सहमति बन गई है। दरअसल, तीनों नेता शिवराज सरकार में मंत्री हैं। अब संगठन में इनकी जगह तीन नए लोगों को जगह दी जाएगी। इधर, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का 7 दिसंबर को भोपाल आना तय था, लेकिन वे आज तीन दिन पहले भोपाल पहुंच गई हैं। उनके अचानक प्रवास को इसी राजनीतिक सरगर्मी से जोड़कर देखा जा रहा है।
पाठक पहुंचे थे सीएम हाउस
सीएम हाउस में जब बैठक चल रही थी, उस दौरान पूर्व मंत्री संजय पाठक भी पहुंचे थे। पाठक शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाए जाने के कारण उन्हें इस बार जगह नहीं मिल सकी। अब मंत्रिमंडल में 6 पद खाली हैं। ऐसे में पाठक को फिर से मंत्री बनाए जाने की संभावना बढ़ गई है। वैसे भी मंत्रिमंडल में महाकौशल से प्रतिनिधित्व नहीं है।