मंदसौर। मंदसौर में गुरुवार सुबह सिक्किम से शहीद गोवर्धनसिंह का पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद मौजूद लोगों ने अपनी मांगों को लेकर महू-नीमच फोरलेन गुराड़िया बायपास पर चक्काजाम कर दिया। लोगों की मांग थी कि शहीद के परिजन को एक करोड़ राहत राशि और पत्नी को नौकरी दी जाए। करीब दो घंटे तक चले चक्काजाम में हजारों वाहनों की कतार लग गई। विधायक यशपालसिंह सिसौदिया के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ।
शहीद गोवर्धनसिंह का जीवित अवस्था का फोटो।
25वीं राजपुताना राइफल में पदस्थ रहे शहीद गोवर्धनसिंह का पार्थिव शरीर सिक्किम (ग्लेशियर) से होकर नई दिल्ली व बुधवार देर शाम उदयपुर पहुंचा। दोनों स्थानों पर गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया, पार्थिव शरीर गुरुवार को पैतृक गांव गुडभेली आ गया। अंतिम यात्रा गुराडिया देदा बायपास से शुरू हुई। छुट्टी पर घर लौटे साथी सैन्य जवानों ने अंतिम यात्रा की तैयारी की थी। बता दें कि गोवर्धनसिंह ड्यूटी पर होकर सैन्य कामकाज से सिक्किम जा रहे थे, रास्ते में सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई। सुबह 9.30 बजे किया गया चक्काजाम 11.30 बजे तक चला। विधायक सिसौदिया ने आश्वास्त किया है कि मेरी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से बात हो गई है। मांग पूरी की जाएगी और शहीद के सम्मान में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
इसलिए किया चक्काजाम
सेना में ड्यूटी पर रहते हुए कई जवान युद्ध के अलावा एक्सीडेंटल मामलों में वीरगति को प्राप्त होते हैं, लेकिन सेना इनके परिजन को केवल भविष्य निधि की राशि देती है, जबकि सरकार नियमों को आड़ बनाकर आर्थिक सहायता नहीं देती है। जैसे कि सीएम शिवराजसिंह चौहान ने एक करोड़ की सहायता राशि शहीद परिवार को देने का ऐलान किया है। जब यह सहायता राशि के लिए परिजन आवेदन करते हैं, तब कहा जाता है "आपका बेटा दुश्मन की गोली से शहीद नहीं हुआ' है। इसी वजह से लोगों ने चक्काजाम किया।
महू-नीमच फोरलेन पर दोनों तरफ लग गई वाहनों की कतार।
पुलिस रिकाॅर्ड में गुडभेली नहीं
गुडभेली गांव 320 लोगों की आबादी वाला है। कुल 4 परिवार हैं, जो राजपूत समाज के सिसौदिया वंश से आते हैं। यहां हर व्यक्ति खेतीहर मजदूर है। बावजूद प्रत्येक परिवार से तीन-चार युवा सेना में हैं। यहां तक कि शहीद हुए गोवर्धनसिंह के चचेरे भाई धर्मेंद्रसिंह (2011) भी सेना में हैं। वे बारामूला (जम्मू-कश्मीर) में पदस्थ हैं। ग्राम पंचायत धारियाखेड़ी अंतर्गत गुडभेली को गांव का दर्जा नहीं मिल सका है। यहां शांति-सद्भाव ऐसा रहा है कि आज तक पुलिस रिकाॅर्ड (थाना वायडीनगर) में गुडभेली का नाम दर्ज नहीं हुआ। अधिकतर युवा सेना में होने से गांव वीरान सा रहता है।