भोपाल। कोरोना के कारण 24 मार्च से 31 मई तक लगे लॉकडाउन में प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी निर्मल हो गई थी, लेकिन मानसून बीतने के बाद से नर्मदा का पानी इतना दूषित हो चुका है, जितना फरवरी में भी नहीं था। नदी में सर्वाधिक प्रदूषण जैत गांव से लेकर (बीच में होशंगाबाद शहर) बुदनी के होलीपुरा तक के करीब 40 किलोमीटर (नदी की लंबाई) के हिस्से में हैं।
भोपाल शहर की पेयजल सप्लाई के लिए सीहोर के जिस हिरानी गांव के पास से नदी से पानी लिया जाता है, उसकी अपस्ट्रीम यानी शाहगंज में भी पानी अब सी-कैटेगरी का हो चुका है। जबकि फरवरी-मार्च में यह बी-कैटेगरी था और मई-जून में जल स्वच्छ होकर ए-कैटेगरी का हो गया था। यह खुलासा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नर्मदा जल की गुणवत्ता पर तैयार हुई हालिया रिपोर्ट से हुआ। इसके मुताबिक सीहोर जिले कीे 7 और होशंगाबाद जिले की 4 लोकेशन्स पर नदी का पानी सी-कैटेगरी का मिला है।
टोटल कोलीफॉर्म बढ़ने के मायने- नदी में सीवेज वॉटर सीधे आ रहा...
- गुणवत्ता खराब होने का बड़ा कारण टोटल कोलीफॉर्म (गंदे नाले और सीवेज से पैदा होने वाले बैक्टीरिया) है।
- प्रदूषण बोर्ड के भोपाल जोन की चीफ कैमिस्ट संगीता दानी का कहना है कि सितंबर के बाद अचानक पानी में टोटल कोलीफॉर्म की मात्रा बढ़ी है, जो बड़ी मात्रा में सीवेज वाॅटर के सीधे नदी में आने का संकेत है।
- भोपाल के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आलोक सिंघई के ने कहा हम बुदनी समेत सीहोर जिले की सभी संबंधित नगर पालिका और परिषदों को नोटिस जारी करेंगे।
- नदी के अचानक उभरे इस पोल्यूटेड पैच का सर्वेक्षण की भी तैयारी की जा रही है, ताकि प्रदूषण की इस वजह का पता लगा सकें।
39 जगहों पर पानी अभी भी ए कैटेगरी का
मप्र पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड अमरकंटक से अलीराजपुर तक 50 स्थानों पर पीरियोडिकली पानी की गुणवत्ता की जांच करता है। इनमें 11 पाॅइंट सीहोर और होशंगाबाद जिलों में आते हैं। पीसीबी के मुताबिक सीहोर और होशंगाबाद जिलों को छोड़कर बाकी सभी 39 जगहों पर नर्मदा का पानी अब भी ए-कैटेगरी का है।
- ए-कैटेगरी... पेयजल के लिए सर्वोत्तम। इसका पीएच मान 6.5 से 8.5 के बीच, डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) 6 एमजी/ लीटर और बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 2 एमजी/लीटर से कम हो।
- सी-कैटेगरी... पीएच मान 6 से 9 के बीच, डीओ 4 एमजी/लीटर, बीओडी 3 एमजी/लीटर और कोलीफॉर्म 5000 एमपीएन/100 एमएल हो। ऐसे पानी को बिना वैज्ञानिक परिशोधन के इस्तेमाल करने से बीमार होते हैं।
- डीओ.. मिलीग्राम प्रति लीटर में पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा। यह जितनी ज्यादा होती है पानी उतना स्वच्छ होता है।
- बीओडी.. मिली ग्राम प्रति लीटर में पानी में ऑक्सीजन की खपत। पानी में गंदगी वाले जीवाणु होने पर यह बढ़ता है।
- काेलीफार्म.. 50 एमपीएन प्रति 100 मिली पानी में फीकल काेलीफार्म बैक्टरिया की संख्या।