रेखा शर्मा ने बताया कि असली आंकड़ा और अधिक होने की संभावना है, क्योंकि समाज के निचले तबके की महिलाओं की शिकायतें बहुत हैं, जो डाक के जरिए अपनी शिकायतें भेजती हैं, जो कि लॉकडाउन की वजह से नहीं पहुंच पा रही हैं.
भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के कारण 24 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया गया था. हालांकि इसके बाद से ही घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा देखने को मिला है.
अधिकारियों ने इंडिया टुडे को बताया कि भारत में घरेलू हिंसा के मामले 24 मार्च के बाद से बढ़ गए हैं. 24 मार्च को 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही भारत में लोगों को घरों में रहने के निर्देश दिए गए. हालांकि कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए लगाए गए इस लॉकडाउन के कारण महिलाओं पर घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई है.
दिल्ली के डीसीपी (ऑपरेशंस एंड कम्युनिकेशंस) एसके सिंह ने इंडिया टुडे को बताया, 'यह काफी हैरानी वाली बात है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े कॉल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ गए हैं. पहले हमें घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ से जुड़ी प्रति दिन 900-1000 कॉल मिलती थी, हालांकि लॉकडाउन के बाद से प्रति दिन लगभग 1000-1200 कॉल मिल रही हैं.'
उन्होंने बताया, 'कई महिलाओं ने दिल्ली में जेजे कॉलोनियों के पास से कॉल किया है और अपने पड़ोसियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. कुछ खराब मानसिकता वाले लोग भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए घूम रहे हैं और लड़कियों के साथ अभद्रता और छेड़छाड़ को अंजाम दे रहे हैं.' डीसीपी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण महिलाएं बाहर निकल कर शिकायत नहीं कर पा रही हैं लेकिन कॉल जरूर बढ़ गई हैं.
'पति निकालते हैं भड़ास'
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके से घरेलू हिंसा के पीड़ितों में से एक ने इंडिया टुडे को बताया, 'मेरे पति एक पान की दुकान में काम करते थे और मैं एक नौकरानी के रूप में काम करती थी. हमारी दो छोटी बेटियां हैं. लॉकडाउन के बाद से पति के पास नौकरी नहीं है. हमारे पास भोजन और पैसे भी नहीं है.'
पीड़िता ने बताया, 'मेरे पति पहले मेरे साथ दुर्व्यवहार करते थे और कभी-कभी पीटते भी थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण वो घर पर हैं और लगभग हर रोज मुझे पीटते हैं. वह मुझ पर अपनी भड़ास निकालते हैं. मैं शिकायत करने के लिए भी बाहर नहीं जा सकती. मेरे और मेरे बच्चों के लिए घरेलू यातना महामारी से काफी बदतर है.'
पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से कई शिकायतें
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को भी 23 मार्च से 30 मार्च तक 58 शिकायतें मिली हैं. एनसीडब्ल्यू चीफ रेखा शर्मा ने इंडिया टुडे को बताया, 'संख्या में इजाफा हुआ है. आदमी घर पर बैठे महिलाओं पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. यह प्रवृत्ति विशेष रूप से पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में देखी जा रही है, जहां से हमें ऐसी कई शिकायतें मिली हैं.'
उन्होंने बताया, 'राज्यों के सटीक आंकड़े तुरंत उपलब्ध नहीं है. 58 शिकायतें हमें ईमेल पर मिली हैं. असली आंकड़ा और अधिक होने की संभावना है, क्योंकि समाज के निचले तबके की महिलाओं की शिकायतें बहुत हैं, जो हमें डाक के जरिए अपनी शिकायतें भेजती हैं, जो कि लॉकडाउन की वजह से नहीं पहुंच पा रही हैं.'
शर्मा ने कहा, 'राज्य आयोगों ने भी घरेलू दुर्व्यवहार के मामलों में वृद्धि देखी है. हमने अपने सभी सदस्यों से ऐसे मामलों पर नजर रखने और उन्हें बचाने के लिए कहा है.' साथ ही रेखा शर्मा ने महिलाओं से आग्रह किया है कि यदि वे घरेलू हिंसा का सामना करती हैं तो पुलिस से संपर्क करने या राज्य महिला आयोगों तक पहुंचने की कोशिश करें.