मप्र में हर साल 210 लाेगाें काे मिलते हैं सरकारी अवाॅर्ड, देश में संभवत: सबसे ज्यादा

Posted By: Himmat Jaithwar
12/1/2020

मप्र में हर साल विभिन्न श्रेणियाें में करीब 210 लाेग सरकार से सम्मानित हाेते हैं। यह आंकड़ा परिस्थितियाें काे देखते हुए बदलता रहता है। फिर भी यह देश में संभवत: सबसे ज्यादा है। यानी किसी अन्य राज्य में इतने सरकारी सम्मान नहीं बंटते। इस संख्या को आधार माने तो बीते 15 सालों में सरकार करीब 3200 लोगों को सम्मानित कर चुकी है। सबसे बड़ा महात्मा गांधी पुरस्कार है, जिसमें 10 लाख रुपए दिए जाते हैं। साथ ही दंगे राेकने पर दिया जाने वाला 15 हजार रु. का पुरस्कार, विदेश में हिंदी का प्रचार करने वाले किसी एनआरआई काे मिलने वाला निर्मल वर्मा सम्मान, हिंदी में याेगदान देने पर किसी विदेशी मूल के व्यक्ति काे मिलने वाला फादर कामिल बुल्के सम्मान शामिल है।

दंगे राेकने वाला पुरस्कार सिर्फ मप्र में ही दिया जाता है और अब तक इसे संबंधित जिले के कलेक्टर या एसपी ही पाते रहे हैं, लेकिन पिछले साल सरकार ने नया सर्कुलर जारी कर इसमें गैर सरकारी व्यक्ति काे भी जाेड़ा है, यानी अब यह पुरस्कार किसी आम जन काे भी मिल सकेगा। इतने अवॉर्ड पर सरकार हर साल करीब 12 से 14 कराेड़ रु. खर्च करती है। इसमें अवाॅर्ड की राशि, समाराेह के इंतजामाें का बजट आदि भी शामिल है।

तीन नए पुरस्कारों का ऐलान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से वर्ष 2018 में तीन नए पुरस्कारों का ऐलान किया था। ये 5-5 लाख रुपए के पुरस्कार उदियमान कवि, पत्रकारिता और सुशासन (आईएएस) के क्षेत्र में दिए जाएंगे। इनकी प्रक्रिया शुरू होना बाकी है।

कमलनाथ सरकार-दो पुरस्कार और पैसा बढ़े
झाबुआ उपचुनाव में जीत के बाद कांग्रेस सरकार में आदिवासी क्षेत्र में काम करने पर दो पुरस्कार जनवरी 2020 में घोषित किए गए थे। पहले से चार पुरस्कार हैं, अब छह हो चुके हैं। सरकार ने पुरस्कार राशि दो लाख से बढ़ाकर तीन-तीन लाख रुपए की है।

एक साथ-एक जैसे अवॉर्ड भी बांटे
पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने पत्रकारों को 2008 से 2014 के एक जैसे अवाॅर्ड एक ही समारोह में बांट दिए थे। इन पर विवाद हुआ था। इसके बाद कांग्रेस शासन ने ढाई लाख रु. का मामा माणिकचंद वाजपेयी पत्रकारिता पुरस्कार बंद कर दिया। इस बार सत्ता में आते ही शिवराज ने इसे फिर शुरू करने का ऐलान किया है।

सिर्फ 18 अवाॅर्ड पर सालाना खर्च 8 से 9 कराेड़ रु. तक
15 राष्ट्रीय, 3 राज्य स्तरीय पुरस्कार और अलंकरण समारोहों पर सालाना 8 से 9 करोड़ खर्च होते हैं। ये अवॉर्ड सिर्फ सामान्य प्रशासन विभाग देता है। बाकी संस्कृति, युवा, आदिमजाति और खेल विभाग भी अवॉर्ड देते हैं। इस साल शासन ने नए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मानों के लिए प्रस्तावित नाम 14 दिसंबर 2020 तक मंगाए हैं।

सबसे बड़ा बजट तानसेन का, सबसे कम अवॉर्ड दंगे का
तानसेन अवाॅर्ड समाराेह का बजट करीब 3 कराेड़ रु. है, जाे कि सर्वाधिक है। ज्यादातर बड़े पुरस्कारों का बजट 90 लाख से 1 करोड़ के बीच है। सम्मान समारोह के लिए आने वाले वीवीआईपी, वीआईपी और अतिथियों के आने-जाने का हवाई, ट्रेन खर्च, होटलों में रुकने, भोजन, खान-पान पर बड़ी राशि खर्च होती है।

इंदिरा गांधी पुरस्कार के लिए जीएडी ने 4 फरवरी 2020 को सर्कुलर निकाला। इसमें कहा गया कि सिर्फ सरकारी अफसर-कर्मचारी के प्रस्ताव प्राप्त होते हैं। इस बार किसी अशासकीय संस्था को वरीयता दें।



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