काेराेना मरीज बढ़ने पर सरकाराें की सख्ती से घबराए प्रवासी मजदूर, बाेले- भूखे मरने से अच्छा है अपने घर पर रहे

Posted By: Himmat Jaithwar
11/28/2020

भिंड। काेराेना की दूसरी लहर ने उन मजदूराें काे फिर दहला दिया है, जाे मजदूरी के लिए अपने घर से दूसरे प्रदेशाें में गए थे। लाॅकडाउन के डर से यह मजदूर फिर अपने घराें काे लाैटने लगे हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली की ओर से राेजाना मजदूर बसाें में बैठकर लाैट रहे हैं। वजह यह है कि पिछली बार कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए 22 मार्च को अचानक सरकार ने लॉकडाउन कर दिया था, जो कि 31 मई तक चला था।

इस दौरान प्रवासी मजदूरों को घर लौटने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। ऐसे में इस बार लोग उन परेशानी से बचने के लिए पहले ही अपने घर की ओर लौटने लगे हैं। लेकिन महानगरों से लौट रहे इन प्रवासी मजदूरों की प्रशासन स्क्रीनिंग नहीं करा रहा है, जिससे एक बार फिर जिले में सामुदायिक स्तर पर कोरोना संक्रमण का खतरा सताने लगा है।

यहां बता दें कि 22 मार्च से 31 मई तक चले लॉकडाउन में दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित अन्य प्रांतों के महानगरों से करीब डेढ़ लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर भिंड जिले में आए थे। लेकिन स्थानीय स्तर पर रोजगार न मिलने की वजह से अनलॉक होते ही यह लोग पुनः महानगरों में चले गए। लेकिन एक बार फिर महानगरों में कोरोना हावी हो रहा है। ऐसे में लोगों में फिर से लॉकडाउन होने आशंका घर कर गई है। ऐसे में वे पुनः अपने गांव लौटने लगे हैं।

रोज कमाते हैं 300 रुपए, मुंह दिखाई के लग रहे 2 हजार रुपए
स्यावली निवासी दाताराम उर्फ भोले दिल्ली में हलवाई का काम करते हैं। वे मंगलवार को दिल्ली से भिंड लौट आए हैं। उन्होंने बताया कि हर रोज दिल्ली में 300 रुपए कमाते हैं। लेकिन अब दिल्ली में फिर से कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं। इसलिए वहां मुंह दिखाई (बिना मास्क के पकड़े जाने पर जुर्माना) दो हजार रुपए चल रहा है। यदि सप्ताह में एक दिन भी पुलिस ने पकड़ लिया तो पूरे सप्ताह भर की कमाई चली जाती है। इसलिए सोचा अब अपने गांव ही जाकर कुछ करेंगे। कम से कम यहां जुर्माना तो नहीं लगेगा।

पहले लॉकडाउन में घर आने में हुए थे परेशान, इसलिए अब पहले आ गए

गोहद के वार्ड क्रमांक 12 माणिक चौक निवासी कैलाश परिहार गुजरात के मणि नगर रामबाग में कमल भाई सेठ के यहां खाना बनाने की नौकरी करते हैं। वे बुधवार को अहमदाबाद से वापस गोहद लौटकर आ गए हैं। कैलाश बताते हैं कि गुजरात में इन दिनों कोरोना के मरीज काफी बढ़ रहे हैं। इसलिए वहां कभी भी लॉकडाउन की आशंका है। पहले अचानक लॉकडाउन हुआ तो घर तक आने के लिए ऑटो, बस, डंपर आदि का सहारा लेना पड़ा। इसमें भी काफी परेशान हुए थे। इसलिए इस बार पहले ही घर आ गए।

लॉकडाउन में दूसरे शहर में भूखे मरने से अच्छा है अपने घर पहुंच जाएं
गोहद नगर के वार्ड क्रमांक 10 बड़ा बाजार निवासी अरविंद राठौर अहमदाबाद के चांदोडिया गौतम नगर में फर्नीचर बनाने का कार्य करते हैं। उनके साथ उनका भाई धर्मेंद्र राठौर भी यही काम करता है। वे पांच दिन पहले ही अहमदाबाद से लौटकर गोहद आए हैं। अरविंद बताते हैं कि अहमदाबाद में इन दिनों कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए काफी सख्ती चल रही है। शाम सात बजते ही वहां कर्फ्यू जैसे हालात निर्मित हो जाते हैं। इसलिए वहां कभी भी लॉकडाउन हो सकता है। इसलिए अब गोहद में ही कुछ काम धंधा तलाश करेंगे।

महानगरों से लौटे मजदूरों की कराई जा रही स्क्रीनिंग

महानगरों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग के लिए व्यवस्था की जा रही है। हालांकि हमारी टीमें गांव- गांव और वार्ड-वार्ड बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग कर रही है। कोशिश की जा रही है बाहर से आने वाला प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रीनिंग कर ली जाए। - उदय सिंह सिकरवार, एसडीएम, भिंड



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