भोपाल। एक दंपती ने दो बच्चों को बड़े अरमानों से गोद लिया, लेकिन बच्चे घर में 25-50 हजार रुपए की चोरी करते और बगैर बताए चले जाते। वे ऐसा 5 बार कर चुके हैं। यह कहानी थाना बजरिया क्षेत्र के एक परिवार की है, जिसने एक शिशु गृह से एक बालक और एक बालिका को गोद लिया। बच्चों की काउंसलिंग विशेषज्ञों से कराने के बाद दंपती को उम्मीद है कि बच्चों के व्यवहार में बदलाव आएगा।
बजरिया टीआई उमेश यादव ने बताया कि मंगलवार रात दंपती थाने पहुंचे। बताया कि उनकी 13 साल की बेटी और 11 साल का बेटा घर से गायब है। इस पर पुलिस अलर्ट हुई। बुधवार सुबह 5.30 बजे बच्ची विजय नगर, चांदबड़ में और दोपहर 12 बजे बच्चा कोलुआ में बने नाले के पास मिला। दोनों को अभिरक्षा में लेकर काउंसिलिंग की। उसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को परिजनों को सौंप दिया। बच्चों का वयस्क दोस्त एक मैकेनिक था, जिसे परिजनों की शिकायत पर गिरफ्तार किया। उसके पास से 5 हजार रुपए बरामद भी किए।
बच्चों की हरकतों से मां डिप्रेशन में चली गई, जून 2019 में हार्ट अटैक से हो गई थी मौत
मैं कृषि विभाग से सर्वे अधिकारी के पद से रिटायर हूं। कई साल तक संतान नहीं होने पर पत्नी ने जिद की तो 2014 में हम लोगों ने होशंगाबाद के इंद्रा शिशु गृह से 6 साल का बालक और 8 साल की बालिका को गोद लिया। बेटे को केंद्रीय विद्यालय और बेटी को अशोका गार्डन के एक स्कूल में एडमिशन दिलाया। एक दिन स्कूल से खबर आई कि बच्चों को आप लोग इतने रुपए मत दिया करो। जब बच्चों से पूछताछ की तो पता चला कि वे घर से रुपए निकालकर ले जाते थे। इसके बाद रुपए अलमारी में रखने लगे। एक दिन दोनों ने अलमारी का ताला तोड़ कर रुपए निकाल लिए और घर से बिना बताए चले गए।
पड़ोसी ने बच्चों को बैग ले जाते देखा तो पूछताछ की। बैग देखा तो उसमें 25 हजार रुपए थे। पड़ोसी ने रुपए लौटाए। इसके बाद पुलिस ने बच्चों को भागते हुए पकड़ा और घर पहुंचाया। बच्चे 5 बार भाग चुके हैं। इसकी शिकायत थाने में की। इन हरकतों के कारण बच्चों की मां डिप्रेशन में चली गई। हार्ट अटैक से जून 2019 में मौत हो गई। बच्चे के पालन पोषण की खातिर गत सितंबर में दूसरी शादी की। बच्चे अपनी नई मां का भी कहना नहीं मानते। जब भी बच्चे घर भागते है तो डर लगता है कि कहीं गलत हाथों में न पड़ जाए।
(जैसा कि बच्चों के पिता ने बताया)
बच्चे बोले- बाहर घूमना पसंद है, इसलिए भागते हैं
बच्चों ने बताया कि उन्हें घूमना पसंद है। मां घर से निकलने नहीं देती। बाहर जाना होता है तो वह साथ जाती है। हम उनके साथ नहीं जाना चाहते, इसलिए घर से भाग जाते हैं। दोस्तों के साथ खेलते हैं। घर से रुपए ले जाने के सवाल पर बोले कि अपने जरूरतमंद दोस्तों को रुपए भी दे रहे हैं, ताकि उनकी मदद हो सके।
लगातार काउंसलिंग हो- बच्चों के अवचेतन मन पर पड़ा होगा असर
ये बच्चे जिस परिस्थिति में शिशु गृह में पहुंचे थे। उसका असर कहीं न कहीं अवचेतन मन पर पड़ा होगा। बच्चे अनजाने में ही बार-बार घर से रुपए लेकर निकल रहे हैं। ऐसे बच्चों के मनोविज्ञान को समझने के लिए उनकी लगातार काउंसलिंग होनी चाहिए, ताकि उनके मनोमस्तिष्क पर पड़े प्रभाव को समझकर समस्या का निदान किया जा सके।
-प्रीति माथुर, चाइल्ड काउंसलर एवं मनोवैज्ञानिक