600 करोड़ लेने वाली जनरल कंसल्टेंट ने बिना नक्शा देखे जोन-3 के हिसाब से जारी किया था टेंडर

Posted By: Himmat Jaithwar
11/27/2020

इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए इंदौर को गलत जोन में रखने से हो रही 1785 करोड़ की फिजूलखर्ची में नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि प्राेजेक्ट में 600 करोड़ की फीस ले रही जनरल कंसल्टेंट ने भूकंप जोन का नक्शा देखे बगैर ही इंदौर को जोन-3 में रख टेंडर जारी किया, जिसे बाद में टेक्निकल डायरेक्टर ने संशोधित कर जोन-4 में कर दिया। अफसर अब बचने के लिए एक पूर्व आईएएस अफसर का नाम ले रहे हैं कि उन्होंने ही यह संशोधन कराया था।

इसमें म.प्र. मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के टेक्निकल डायरेक्टर की भूमिका संदेह के घेरे में है। भारत सरकार के भूकंप जोन दर्शाने वाले नक्शे में साफ है कि इंदौर जोन 2 में ही आता है। भोपाल मेट्रो का टेंडर जारी होने के बाद इंदौर मेट्रो का टेंडर जनरल कंसल्टेंट ने जारी किया था। सीनियर आर्किटेक्ट अतुल सेठ के अनुसार, टेंडर जारी होने के कुछ समय बाद एमपीएमआरसीएल के टेक्निकल डायरेक्टर जितेंद्र दुबे ने संशोधन जारी करते हुए नई शर्त जोड़ी।

उल्लेखनीय है कि मेट्रो के टेक्निकल डायरेक्टर जितेंद्र दुबे को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी भरी मीटिंग में सवाल उठाया था कि दुबे वेयर हाउसिंग के इंजीनियर इन चीफ हैं, उन्हें मेट्रो का कोई अनुभव नहीं फिर वे कैसे मेट्रो के टेक्निकल डायरेक्टर बन गए।

24 लाख तनख्वाह पाने वाले अधिकारियों ने नक्शे को भी किया नजरअंदाज
जनरल कंसल्टेंट के इंदौर और भोपाल में पदस्थ सीनियर अधिकारी 24-24 लाख रुपए महीना तनख्वाह दो साल से ले रहे हैं। इसके बावजूद उन्होंने इंदौर मेट्रो के लिए पहला टेंडर जोन-3 दर्शाकर कर जारी कर दिया। भूकंप जोन के भारत सरकार के नक्शे में स्पष्ट है कि इंदौर जोन-2 में ही आता है। जोन-3 पीथमपुर के आगे शुरू होता है। वहां तक मेट्रो का कोई प्लान ही नहीं है।

मुख्यमंत्री ने किया जवाब तलब
भास्कर की खबर पर सीएम हाउस से एमपीएमआरसीएल से स्पष्टीकरण मांग गया है। सूत्रों के अनुसार उन्हें यह कहा गया कि टेंडर पूर्व आईएएस ने तैयार किया था, जो इंदौर में भी रहे हैं। तर्क दिया गया कि मेट्रो 100 साल के हिसाब से ज्यादा सेफ्टी के लिए डिजाइन की जा रही है। तत्कालीन अधिकारियों ने उक्त आईएएस का कोई रोल नहीं होने की बात कही है।

टेक्निकल डायरेक्टर और जनरल कंसल्टेंट ने नहीं दिया कोई जवाब
मेट्रो प्रोजेक्ट के भूकंप जोन की गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे टेक्निकल डायरेक्टर जितेंद्र दुबे से भास्कर ने पूछा कि टेक्निकल डायरेक्टर होते हुए भी यह गड़बड़ी कैसे हुई, क्या कमलनाथ ने उनके टेक्निकल डायरेक्टर होने पर सवाल उठाया था, भोपाल के टेंडर में यह शर्त क्यों नहीं थी? इनमें से किसी भी सवाल का दुबे ने जवाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि मैं किसी का भी जवाब नहीं देना चाहता। उधर, टेंडर जारी करने वाली कंपनी जनरल कंसल्टेंट के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर एस बालाकृष्णा से गलत भूकंप जोन में रखने पर सवाल किए गए तो उन्होंने कोई भी जवाब देने से इंकार कर दिया।



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