भोपाल। वित्तीय दिक्कतों से जूझ रही सरकार अब चिड़ियाघरों, टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और सेंक्चुरी में प्रवेश शुल्क से एकत्रित होने वाली राशि को भी अपने खाते में रखना चाहती है। वित्त विभाग ने प्रस्ताव दिया है कि इस राशि को विकास निधि में रखा जाए। इस पर गुरुवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में चर्चा की जाएगी। प्रवेश शुल्क से सालाना 25 से 30 करोड़ रुपए ही एकत्रित होते हैं। कोविड ईयर के कारण इस बार 15 करोड़ भी एकत्रित नहीं हुए।
वन विभाग ने इस राशि के उपयोग के लिए खुद विकास निधि बना रखी है। हर सेंक्चुरी, नेशनल पार्क का अलग खाता है, जिसमें यह पैसा एकत्रित होता है। फिर इसी पैसे के खर्च का प्रस्ताव तैयार होता है, जिसे राज्य स्तर पर गठित कमेटी मंजूर करती है।
कैबिनेट में इसके साथ ही 25 प्रस्तावों पर चर्चा होगी। इसमें इंदौर, ग्वालियर और रीवा की सरकारी प्रेस को बंद करना, मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 800 करोड़ के लोन पर राज्य सरकार की गारंटी, पशुपालन विभाग में डेयरी को भी जोड़ना, मप्र नर्सिंग शिक्षण संस्था की मान्यता से जुड़े नियमों में संशोधन आदि शामिल हैं।