होशंगाबाद: बीते 4 दिनों से देहात पुलिस लेब्राडोर डॉग को लेकर काफी चर्चा में थी. इसी बीच एक और खबर ने फिर सुर्खियों में ला दिया है. खबर थी लेब्राडोर डॉग के सैम्पल कराने के लिए पुलिस के पास पैसे नहीं थे. ऐसे में लेब्राडोर डॉग का डीएनए जल्द हो सके इसलिए डॉग का मालिकाना हक का दावा करने वाले शादाब खान ने पुलिस को 28 हजार रुपये का डीडी सौंपा है. इसके बाद देहात थाने के दो आरक्षक डॉग के सैम्पल लेकर हैदराबाद के लिए रवाना हुए हैं.
22 नवंबर को लिया पचमढ़ी में लिया सैम्पल
गौरतलब है कि 22 नवंबर को डॉग के पिता का पचमढ़ी से सैम्पल लिया गया था. पुलिस के पास डीएनए टेस्ट कराने के रुपए नहीं थे. शादाब ने डीएनए टेस्ट कराने के लिए 28 हजार 320 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट देहात थाने के एसआई निकिता विल्सन को दिया.
दूसरे पक्ष ने नहीं की डीएनए कराने की मांग
वहीं दूसरा पक्ष कृतिक शिवहरे ने बताया की डॉग की तबीयत पहले से बेहतर है. डीएनए करवाने के लिए शादाब खान ने मांग की थी. इस पर दूसरे पक्ष ने कहा कि हमने डॉगी का डीएनए कराने की मांग नहीं थी, इसलिए हमने रुपए नहीं दिए.
क्या होता है डीएनए टेस्ट?
डीएनए टेस्ट विभिन्न व्यक्तियों या जीवों के बीच परिवार के रिश्तों का सबूत प्रदान करता है. डीएनए टेस्ट से रक्त संबंध (Blood Relation) और एक ही परिवार से होने का पता चलता है. यदि कोई व्यक्ति या जीव रक्त संबंध के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति से जुड़ा है और उनकी खून की जांच में एक ही डीएनए युक्त नमूना मिलता है, तो यह दोनों के बीच संबंध होने का सबूत देता है.
यह है पूरा मामला
20 नवंबर को शादाब खान और छात्र नेता कृतिक शिवहरे के बीच लैबराडोर डॉग के मालिकाना हक का विवाद थाने पहुंचा था. शादाब का कहना है कि उन्होंने पचमढ़ी से 2017 में डॉग लिया था तो वहीं कृतिक का दावा है कि वह भोपाल गए थे तब पुलिस उनके घर से उनका डॉगी ले गई. कुत्ते के मालिकाना हक के लिए शादाब ने डॉग के डीएनए टेस्ट की मांग की थी. अनिर्णय की स्थिति और पुलिस पर बने दबाव के कारण 21 नवंबर को डाक का सैम्पल लिया गया था.