एमपी एग्रो से वापस लेंगे पोषण आहार का काम, निजी कंपनियां सिस्टम से बाहर होंगी

Posted By: Himmat Jaithwar
11/24/2020

भोपाल। राज्य सरकार पोषण आहार का काम एमपी एग्रो को सौंपने वाले कांग्रेस सरकार के एक साल पुराने फैसले को पलटेगी। सरकार प्रदेश में एमपी एग्रो से पोषण आहार वितरण का काम वापस लेकर स्वयं सहायता समूहों को देने की तैयारी कर रही है। इस फैसले पर अमल होने के बाद निजी कंपनियां पोषण आहार के सिस्टम से बाहर हो जाएगी। शिवराज कैबिनेट में जल्द प्रस्ताव मंजूरी के लिए रखा जाएगा। इसके मुताबिक पोषण आहार का उत्पादन स्वयं सहायता समूहों से कराया जाएगा। पहले भाजपा शासन में 2017 में एमपी एग्रो की जगह स्वयं सहायता समूहों को काम दिया जा चुका है।

110 करोड़ रुपए के प्लांट तैयार हुए... पोषण आहार प्लांट एमपी एग्रो को सौंपने के फैसला का भाजपा ने खुला विरोध किया था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि पोषाहार वितरण में निजी कंपनियों और ठेकेदारों की भूमिका खत्म करने के लिए स्वंय सहायता समूहों को काम दिया गया था।

इसके लिए 110 करोड़ रुपए की लागत से 7 आटोमैटिक संयंत्र स्थापित किए गए थे। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को टेक होम राशन तैयार करने के साथ गुणवत्तापूर्ण पोषाहार वितरण करना था। कैबिनेट प्रेयसी में 11 वीं कंडिका पोषाहार के निजीकरण नहीं होने बिन्दु को भी हटाया गया था। हालांकि इसे अनुमोदन के पहले का बताया गया था।

निजी कंपनियों के लिए बदला गया था आदेश
आहार का काम एमपी एग्रो को सौंपने के लिए सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट को आधार बनाया था। पोषण आहार प्लांट इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी खामी के चलते आजीविका मिशन के माध्यम से चलाने में असमर्थता जताई थी।

इस फैसले पर ग्रामीण पंचायत विकास विभाग की तत्कालीन एसीएस गौरी सिंह ने सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा था, जिसमें कंपनियों में प्रतिबंध लगाने का प्रावधान था। हालांकि बाद में कैबिनेट प्रेयसी में इन बिन्दुओं का कोई उल्लेख नहीं था।

नाथ सरकार ने पिछले साल ही बदली व्यवस्था
कमलनाथ कैबिनेट में पोषण आहार पर 27 नवंबर 2019 को बड़ा फैसला लिया गया था। कैबिनेट में बदलाव के बाद एमपी एग्रो को काम दे दिया गया था। इसके बाद से एमपी एग्रो के माध्यम से आंगनवाड़ियों को पोषण आहार सप्लाय किया जा रहा है।



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