भोपाल। कहते हैं कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना और हौसले बुलंद हों तो हर बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान हो जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है भोपाल बैरागढ़ निवासी इलेक्ट्रिशियन अनिल नायर की बेटी अंजलि नायर ने। वे सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। चैन्नई ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हाेंने पासिंग आउट परेड कर यह उपलब्धि हासिल की है। आर्थिक तंगी के बावजूद अंजलि ने अपने हौसलों से एक नई इबारत लिखी।
बाएं से दाएं अंजलि नायर, पापा अनिल नायर, मम्मी गीता नायर और बहन अश्विनी नायर के साथ।
कई बार कॉलेज की फीस भरने में आई दिक्कत, बैंक लाेन के लिए लगाए चक्कर
अंजलि के पापा अनिल नायर संत हिरदाराम कॉलेज में इलेक्ट्रिशियन की नौकरी करते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं है। उनकी दो बेटियां हैं। अनिल नायर ने कहा कि तमाम परेशानियों के बावजूद हमने अपनी बेटी अंजलि के बचपन के सपने सेना में शामिल होने को कभी धूमिल नहीं होने दिए। होली फैमिली स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद बेटी को टीआईटी कॉलेज से इंजीनियरिंग करवाई। उसके लिए बैंक से लोन लिया, लेकिन यह इतना आसान न था। कई बैंकों के चक्कर लगाए। बड़ी दिक्कत उठाने के बाद लोन मिला। कई बार बेटी की कॉलेज की फीस और एग्जाम फीस भरने में लेट हुए। कई बार कॉलेज से नोटिस मिले। इन सबके बावजूद अंजलि ने ठान लिया था कि उसे कुछ करके दिखाना है। संत हिरदाराम जी के उत्तराधिकारी संत सिद्ध भाऊ एवं कर्नल नारायण पारवानी ने उन्हें भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। अंजलि के सपनों को तब पंख मिले। जब डिफेंस सिलेक्ट एकेडमी से उसने कमांडर आर एस राठौर सर के गाइडेंस में एसएसबी की ट्रेनिंग ली और तैयारी की। यही उसकी लाइफ का टर्निंग पाइंट था। एसएसबी बैंगलुरु में एग्जाम देने के बाद फिजिकल और इंटरव्यू क्लियर करने के बाद ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चैन्नई से ट्रेनिंग कंप्लीट की।
एसएसबी टेस्ट के दौरान चेस्ट नंबर में अंजलि नायर।
ट्रेनिंग में फ्रेक्चर के कारण 11 महीने की ट्रेनिंग 17 महीने में पूरी कर पाई
अंजलि नायर ने बताया कि आर्मी में जाने के सपने को पूरा करने के लिए मैंने सिविल ब्रांच से इंजीनियरिंग की, ताकि ओटीए में एडमिशन आसानी से मिल जाए। पहली बार जब सिलेक्शन नहीं हो पाया था, तो काफी उदास हो गई थी। लेकिन, दोबारा तैयारी की, तो देश में चौथे नंबर पर आई। सबसे मुश्किल दौर तब था, जब सीनियर लेवल की ट्रेनिंग के दौरान नाइट पेट्रोलिंग करते हुए मेरा पैर फिसला और पैर की एडी फ्रैक्चर हो गई। इसके कारण ट्रेनिंग में 6 महीनों का ब्रेक लेना पड़ा। दोबारा से ओटीए के सारे फिटनेस टेस्ट दिए और सीनियर लेवल ट्रेनिंग फिर जीरो से शुरू की। 11 महीनाें में होने वाली ट्रेनिंग 17 महीने में पूरी हुई। अब मैं पावागढ़ कोलकाता में लेफ्टिनेंट के तौर पर ज्वाइन करने जा रही हैं।
बेटी की पसंद की साउथ इंडियन डिश बनाकर करुंगी वेलकम
अंजलि की मां गीता नायर ने बताया कि बहुत तकलीफें उठाई बेटी को पढ़ाने में और बड़ा करने में। घर में बहुत कटौती की। बहुत सी इच्छाओं को मारा। लेकिन बेटी के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बैरागढ़ में एक छोटे से किराए के मकान में रहते हुए अंजलि और उसकी छोटी बहन अश्विनी की परवरिश की। अश्विनी 11वीं की स्टूडेंट है। कोराेना के कारण हम पासिंग आउट परेड में हम शामिल नहीं हाे पाए, लेकिन खुशी है बेटी ने हमारा नाम रोशन कर दिया। वह 25 नवंबर को भोपाल आएगी। उसके लिए मैं उसकी पसंद की साउथ इंडियन डिश तैयार करूंगी। खासकर डोसा, इडली। वह उसे बहुत पसंद है।
दीदी को सरप्राइज पार्टी देने के साथ ढोल के साथ घर लाएंगे
अंजलि की बहन अश्विनी ने बताया कि दीदी के वेलकम के लिए सरप्राइज पार्टी रखी है। घर को डेकोरेट करेंगे। फ्रेंडस और रिलेटिव्स हाेंगे। केक कटिंग सेरेमनी होगी। ढोल के साथ उसे घर लेकर आएंगे। मुझे अपनी दीदी पर गर्व है। अब वह सेना में जाकर देशसेवा कर सकेगी।