राजनांदगांव. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लॉक डाउन के साथ पूरे राज्य में नाकेबंदी की गई है। महाराष्ट्र सीमा से लगे बागनदी में महाराष्ट्र की दिशा से आने वाले वाहनों को रोका जा रहा है। यहां झारखंड जाने वाले करीब 250 लोगों सहित 700 लाेगों लोग चार दिन से फंसे हुए हैं। रात और दिन उन्हें अपने वाहन में ही बैठकर गुजारने पड़ रहे हैं। बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी परेशान हैं। प्रशासन ने इन्हें रोका तो है लेकिन सुविधा नहीं दी।
बॉर्डर के अंदर बागनदी में ही स्कूल में चार दिन पहले पहुंचे कुछ लोगों को ठहराया गया है, लेकिन वहां सोने के लिए बेड तक नहीं है। स्कूल में रखे बेंच पर ही सोना पड़ रहा है। यहां दिन काट रहे लोगों ने कहा हम कोरोना से नहीं इस हालात से दम तोड़ देंगे। तंग आकर परेशान लोगों ने बागनदी के बॉर्डर में मंगलवार दोपहर को 3 घंटे तक विरोध किया। उनका कहना था कि हमें यहां क्यों रोककर रखा गया है।
लोकल स्तर पर ग्रामीण विरोध कर रहे: कलेक्टर
कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य, एसपी जितेंद्र शुक्ला, एसडीएम अविनाश भोई पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। समझाइश दी लेकिन इन लोगों को नहीं जाने दिया जा रहा है। कलेक्टर मौर्य ने बताया कि महाराष्ट्र से आने वाले सभी लोगों के लिए चिरचारी डिपो में व्यवस्था की गई है। कुछ लोगों को वहां भेजा गया है। डिपो में संख्या बढ़कर 700 हो गई है। सभी के लिए चादर, साबुन तेल व खाने की व्यवस्था आज की गई है। कुछ लोग नहीं आना चाह रहे थे उनके लिए भी भोजन की व्यवस्था की गई है। महाराष्ट्र से आने वाले लोगों को ठहराने के लिए लोकल स्तर पर ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
यहां भी नाकेबंदी की गई ताकि कोई प्रवेश न करे
अंजोरा बाइपास से पुलिस ने नाकेबंदी की है। ताकि दुर्ग की दिशा से किसी तरह कोई व्यक्ति प्रवेश न कर सके। इधर साल्हेवारा में नाकेबंदी है। चिल्हाटी, कोरचाटोला और कल्लूबंजारी में भी आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी गई है। वहीं सड़क चिरचारी में करीब चार सौ लोगों को ठहराया गया है।
बेटी के ट्यूमर का ऑपरेशन फिर भी यहां रुकना पड़ा
झारखंड के जितेंद्र यादव ने बताया कि उसकी डेढ़ साल की बेटी आरुही के ट्यूमर का ऑपरेशन हाल ही में हुआ है। डॉक्टर ने कहा था कि इसे गांव ले जाओ। अब गांव जा रहे हैं तो यहां हम फंस गए हैं। बागनदी में सड़क पर ही तीन दिन काट चुके हैं। राहत नहीं मिल पा रही है। परेशानी बढ़ती जा रही है।
जंगल के रास्ते एमपी के लिए निकले थे 37 मजदूर
पनियाजोब में रेलवे की तीसरी लाइन के काम में लगे 37 मजदूर पैदल ही मध्यप्रदेश के उमरिया जाने निकल पड़े थे। ये मजदूर डोंगरगढ़ होकर जंगल के रास्ते गातापार इलाके के इटार पहुंचे। इसकी जानकारी खैरागढ़ के समाज सेवी संस्था को मिली। इसके बाद संस्था के सदस्यों ने इन मजदूरों को रेस्क्यू किया।
पिता की हुई मौत, इसके बाद बेटे को रोके रखा
एक बेटे को पिता की मौत के बाद अंतिम संस्कार में जाना है। बकायदा हैदराबाद के एसपी आर वेंकटेश्वरुलू के द्वारा इन्हें पास दिया गया है। पारस नाथ शिशु ने बताया कि पिता की मौत के बाद अंतिम संस्कार में जा रहे हैं। हैदराबार से नागपुर वे आ गए। लेकिन यहां उन्हें रोक दिया गया है। इमरजेंसी व्हीकल पास भी है।
पीड़ित लोगों को सिख समाज करा रहा भोजन
रुपेश यादव, ने बताया कि वे हैदराबाद से आ रहे हैं। वो तो भला हो यहां के सरपंच और सिख समाज का जिनकी ओर से भोजन की व्यवस्था की गई है। प्रशासन ने पानी तक नहीं पूछा। नदी का पानी पीने मजबूर हैं। हमें रास्ते में छोड़ दिया गया है। कम से कम ढाई सौ लोग हैं स्कूल में ठहराते तो हमें दिक्कत नहीं होती।
यहां तो नदी का पानी तक पीना पड़ रहा
विकास चौधरी, राजेश मंडल ने बताया कि रात में सोने की व्यवस्था नहीं। गाड़ियों में नींद नहीं आती। रात में चावल दिया तो सब्जी नहीं दी। किसी को सब्जी मिली तो चावल नहीं दिया। यहां नदी का पानी भी पीना पड़ रहा है। मुंबई से आ रहे हैं। चार दिन हो गए झारखंड कब जाने मिलेगा पता नहीं।