उज्जैन। दीपावली त्योहार के दूसरे बड़े पर्व रूप चतुर्दशी पर 14 नवंबर को भगवान महाकालेश्वर अभ्यंग स्नान करेंगे। भगवान को चंदन का उबटन लगाकर स्नान कराया जाएगा। इसी के साथ भगवान को रोज गर्म जल से स्नान कराने की शुरुआत होगी।
महाकालेश्वर मंदिर में पर्व-त्योहार मनाने की अनूठी परंपराओं ने दीपावली भी शामिल है। दीपावली के पांच दिनी पर्वों में रूप चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान को सुबह 7 बजे वाली आरती में अभ्यंग स्नान कराया जाता है।
अभ्यंग स्नान में भगवान को चंदन का उबटन और चमेली का तेल लगा कर स्नान कराते हैं। मंदिर में यह परंपरा का निर्वाह 14 नवंबर को सुबह होगा। पुजारी परिवार की एक महिला आकर भगवान को अभ्यंग स्नान कराएगी। इसके बाद भगवान को अन्नकूट का महाभोग लगेगा। यह महाभोग शासन की ओर से लगाया जाएगा।
ठंड से बचाने के लिए गर्म जल
परंपरा अनुसार शीत ऋतु शुरू हो जाने से भगवान को ठंड से बचाने के लिए रूप चतुर्दशी से गर्म जल से स्नान कराने की शुरुआत होगी। मंदिर प्रबंध समिति सदस्य पं. आशीष पुजारी के अनुसार भगवान को इस दिन से रोज गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। गर्म जल से स्नान फाल्गुन तक कराया जाएगा। इसके बाद ग्रीष्म की शुरुआत हो जाने से भगवान को फिर ठंडे जल से स्नान कराने की शुरुआत होगी।