बाबा की ओर भी जमीनों पर कब्जे और बैंक खातों की जानकारी जुटा रहा प्रशासन

Posted By: Himmat Jaithwar
11/8/2020

इंदौर। राज्य सरकार के खिलाफ उपचुनाव में प्रचार करने वाले नामदेव दास त्यागी (कम्प्यूटर बाबा) के आश्रम को तोड़ने के बाद प्रशासन ने इस क्षेत्र को विकसित करने का दावा किया है। प्रशासन ने यहां पर एक बड़ी गौशाला बनाने के साथ ही यहां मौजूद मंदिर को भी धार्मिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की कार्य योजना भी बनाना शुरू कर दी है।
ग्राम जम्बूडी हप्सी के खसरा नंबर 610/1 और 610/2 की 46 एकड़ से ज्यादा जमीन में से 2 एकड़ पर बने कम्प्यूटर बाबा के आश्रम के कब्जे को हटाने की कार्रवाई रविवार को प्रशासन ने की। इसके साथ ही इस पूरी जमीन को विकसित करने की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। यहां पर प्रशासन एक आधुनिक गौशाला के निर्माण की तैयारी कर रहा है। क्षेत्रीय एसडीएम शाश्वत शर्मा के मुताबिक इस पूरे क्षेत्र को विकसित करने की तैयारी की जा रही है। यहां के धार्मिक स्थल को प्रशासन अन्य धार्मिक स्थलों की तरह विकसित करेगा।

बाबा की जांच कर रहा प्रशासन
जिला प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कम्प्यूटर बाबा के द्वारा ओर भी कई जगह कब्जे किए जाने की प्रशासन को शिकायतें मिली है। जिसमें 60 फीट रोड स्थित काली धाम सहित अन्य जमीनें शामिल हैं। इनकी भी जांच करवाई जा रही है। वहीं प्रशासन को बाबा के कई बैंक अकाउंट होने और उनमें असामान्य तरीके से पैसा जमा होने की भी शिकायतें मिली हैं। प्रशासन ने बाबा की जमीनों के साथ ही इन खातों की भी जांच शुरू करवा दी है। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर आयकर विभाग की मदद भी प्रशासन लेने की तैयारी कर रहा है।
लैपटॉप लेकर चलते थे संत ने रख दिया नाम कम्प्यूटर बाबा
प्रशासन द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जेधारी घोषित किए गए कम्प्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है। 1965 में नरसिंहपुर में उनका जन्म हुआ था, दिगंबर अखाड़े से जुड़े कम्प्यूटर बाबा सन 2000 के आसपास इंदौर में आकर बस गए थे। इस दौरान उन्होंने गोम्मट गिरी से लगे क्षेत्र में गरबों का आयोजन करवाया। जिसके बाद ग्रामीणों की मदद से यहां पर मंदिर का निर्माण किया। फिर वहीं पर अपना आश्रम बना लिया था। कम्प्यूटर बाबा को इलेक्ट्राॅनिक्स गैजेट्स मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि काफी पसंद है। वो अपने साथ हमेशा लैपटाॅप रखते हैं। हमेशा कम्प्यूटर में रूचि रखने वाले नामदेव दास त्यागी का 1998 में नरसिंहपुर के एक संत ने नाम बदलकर कम्प्यूटर बाबा रख दिया था। उसके बाद से ही वे कम्प्यूटर बाबा के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे।

सुपर कॉरिडोर की जमीन पर भी कब्जा
सुपर कॉरिडोर की सर्वे नंबर 103 की लगभग 3500 स्केवयर फीट जमीन पर भी कम्प्यूटर बाबा का कब्जा मिला है। यह जमीन वन विभाग के अधीन होने के साथ ही इंदौर विकास प्राधिकरण के प्रोजेक्ट में भी शामिल है। नायब तहसीलदार मनीष श्रीवास्तव इसकी जांच कर रहे है।
रहे हैं विवादों में
- कम्प्यूटर बाबा पर कार्रवाई भले ही पहली बार हुई है, लेकिन वो हमेशा विवादों से घिरे थे।
- कम्प्यूटर बाबा ने गोम्मटगिरी आश्रम की जमीन पर हुए विवाद के बाद सबसे पहले राजबाड़ा पर आमरण अनशन किया था। उस समय तत्कालीन मंत्री और वर्तमान भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उनका धरना खत्म करवाया था।
- अंबिकापुरी स्थित श्रीसिद्ध कालीधाम मंदिर को लेकर हुई हत्या के मामले में भी बाबा को लेकर आरोप लगे थे।
- 2011 में कम्प्यूटर बाबा ने अपने गोम्मट गिरी आश्रम पर लघु कुंभ आयोजित किया था। इसके प्रचार के लिए उन्होंने हेलीकॉप्टर से गांव-गांव में पर्चे वितरित किए थे।
- कम्प्यूटर बाबा ने 2014 में आम आदमी पार्टी से लोकसभा का टिकट मांगा था।
- मार्च 2018 में कम्प्यूटर बाबा ने तत्कालीन शिवराज सरकार पर नर्मदा किनारे पौधारोपण के नाम पर घोटाले का आरोप लगाते हुए नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में रथयात्रा निकालने की घोषणा की थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने उन्हें और उनके समर्थक योगेंद्र मंहत, संत भय्यू महाराज भय्यू महाराज, नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज की कमेटी बनाकर सभी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद उन्होंने न सिर्फ यात्रा को निरस्त कर दिया था, बल्कि राज्यमंत्री बनाए जाने को सरकार की ओर से पुरस्कार बताया था। हालांकि विधानसभा चुनावों के पहले उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था।
- 2018 में राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद जब वे पहली बार भोपाल पहुंचे थे तो वहां पर सरकारी गेस्ट हाउस की छत पर ही धूनी रमा कर बैठ गए थे। जिसको लेकर उस समय कांग्रेस ने उन पर राजनीति करने का आरोप लगाया था।
- लोकसभा चुनावों के पहले उन्होंने एयर स्ट्राइक को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए थे। उन्होने आरोप लगाया था कि सरकार ओर सेना दोनों मारे जाने वालों की जो संख्या बता रहे हैं वो अलग अलग है।
- लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लगने के पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने उन्हें एक बार फिर से राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया था।
- लोकसभा चुनावों में भी वे सक्रिय रहे। भोपाल संसदीय सीट पर उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी दिग्विजयसिंह के समर्थन में प्रचार किया था। इस दौरान उन्होंने धूनी रमाने के साथ ही कांग्रेस की जीत के लिए मिर्ची यज्ञ भी करवाया था।
- कांग्रेस के 22 विधायकों द्वारा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस से इस्तीफा देने और भाजपा ज्वाइन करने पर उन्होंने इन विधायकों पर पैसा लेकर सरकार गिराने का आरोप लगाया था।
- अप्रैल माह में महाराष्ट्र के पालघर और उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर में हुई संतों की हत्या के विरोध में भी कम्प्यूटर बाबा ने गोम्मट गिरी में अपने आश्रम में धूनी रमाते हुए 7 घंटों तक अनशन किया था।
- 28 सीटों पर हुए विधानसभा के उपचुनावों में कम्प्यूटर बाबा ने लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकालकर भाजपा के विरोध में प्रचार किया था। इस दौरान वे साधु संतों के साथ सभी सीटों पहुंचे थे और चौपालों पर सभा लेकर भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते हुए वोट न देने की जनता से अपील की थी।



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