इंदौर। चार साल पहले लिखी गई एक चिट्ठी के आधार पर चिड़ियाघर को नौलखा से रालामंडल शिफ्ट करने की हलचल फिर शुरू हो गई है। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने बुधवार को वन विभाग और निगम अफसरों के साथ बैठक की। गुरुवार को मंत्री विजय शाह की बैठक में आगे की योजना बनेगी। हालांकि निगम शुरू से चिड़ियाघर शिफ्ट करने का विरोध कर रहा है।
2016 में ये चिट्ठी सामने आने के बाद मौजूदा कलेक्टर और तत्कालीन निगमायुक्त मनीष सिंह ने सीसीएफ को लिखा था कि चिड़ियाघर का 2035 तक का मास्टर प्लान तैयार है, सीजेडए (सेंट्रल जू अथाॅरिटी) ने मान्यता भी 2019 तक के लिए बढ़ा दी थी। वन विभाग भविष्य में इस पर कोई पत्राचार न करे लेकिन अब संभागायुक्त डॉ. शर्मा निगम प्रशासक हैं और उन्होंने ही इसे लेकर बैठक की है।
वाइल्ड लाइफ सफारी की योजना बनी थी डीएफओ ने शिफ्टिंग का प्रस्ताव रख दिया
सितंबर 2016 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने चिड़ियाघरों के विकास को लेकर हुई बैठक में इंदौर, सागर, ग्वालियर, जबलपुर और रायसेन के लिए योजना बनाने को कहा था। इंदौर चिड़ियाघर में वाइल्ड लाइफ सफारी विकसित करने की योजना बनी, लेकिन तत्कालीन डीएफओ वीके वर्मा ने चिट्ठी लिखी कि जानवरों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए देवगुराड़िया, रालामंडल या कामठिया शिफ्ट करें। इस पर सीजेडए ने सारे प्रोजेक्ट रोक दिए। निगम ने विरोध किया तो प्रस्ताव रुका। चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव कहते हैं कि अभी जानवर वहां कम्फर्ट जोन में हैं। इसीलिए उनकी अच्छी ब्रीडिंग होती है। सीजेडए संतुष्ट है तभी तो कई बड़े प्रोजेक्ट और शुरू होने वाले हैं।
पहले निजी होटल को देने की थी तैयारी
2006-07 में विजय नगर की एक होटल को पीपीपी मोड पर रालामंडल देने के लिए अभयारण्य को डी-नोटिफाई करने का प्रस्ताव तक बन गया था। भारी विरोध के बाद इसे खारिज किया गया। 2008-09 में रालामंडल पर रोपवे का प्रोजेक्ट बनाकर बजट भी पास कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट की साधिकार समिति ने इस पर लताड़ लगाई तो प्रोजेक्ट को रफा-दफा कर दिया।
दोनों जगह के जानवर प्रभावित होंगे
पर्यावरणविद डॉ. सुधीर खेतावत और अजय कुमार जैन का कहना है कि चिड़ियाघर को रालामंडल में शिफ्ट करने से दोनों स्थानों के जानवर प्रभावित होंगे। चिड़ियाघर में जानवर कम्फर्ट जोन में हैं। रालामंडल की अपनी पहचान है। उसे चिड़ियाघर में तब्दील किया तो उसकी पहचान खत्म हो जाएगी। वहां का ईको सिस्टम बिगड़ जाएगा।
सबसे ज्यादा शेर, बाघ और भालू हुए हैं पैदा
इंदौर चिड़ियाघर में पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा बाघ, शेर और भालू इंदौर चिड़ियाघर में ही पैदा हुए हैं। भोपाल स्थित वन विहार जिसे बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्रीय जू अथॉरिटी द्वारा मदद दी जाती है, उससे भी ज्यादा शेर, बाघ इंदौर चिड़ियाघर में पैदा हुए हैं। इंदौर चिड़ियाघर में लगभग 25 से ज्यादा विडालों का जन्म इन 10 सालों में हुआ।
बच्चों का सबसे पसंदीदा स्थान
इंदौर में छोटे बच्चों के पर्यटन के लिए इंदौर जू सबसे पसंदीदा स्थान है। इंदौर जू में कोरोना काल के पहले तक हर रोज औसत 4,600 से ज्यादा दर्शक आते थे। वहीं साल में औसत आने वाले 17 लाख दर्शकों में 10 लाख से ज्यादा की संख्या बच्चों की होती है।
5 करोड़ साल का है खर्चा
4 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट रखने वाली चिड़ियाघर की मालिक इंदौर नगर निगम इसके रखरखाव पर हर साल औसत 5 करोड़ रुपए खर्चा करती है। इसमें चिड़ियाघर में मौजूद जानवरों के खानपान से लेकर यहां के स्टॉफ की तनख्वाह आदि सभी शामिल है। जबकि बीते साल इंदौर चिड़ियाघर की आय लगभग 4 करोड़ रुपए तक थी।
65 प्रजाति के 641 जानवर मौजूद
इंदौर चिड़ियाघर में फिलहाल 65 प्रजाति के 641 जानवर हैं। इनमें शेर, बाघ, भालू सहित दुनिया का सबसे बडा पक्षी शुतुरमुर्ग, और दुनिया का सबसे छोटे प्रजाति के बंदर से लेकर सफेद हिरण और बबून बंदर, लोमड़ी, सियार, हाथी सहित कई जंगली जानवर मौजूद हैं। इंदौर चिड़ियाघर में मौजूद रेपटाइल नर्सरी में हर साल 100 से ज्यादा मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे जानवर पैदा होते हैं। वहीं इंदौर चिड़ियाघर में सफेद बाघ सहित जेब्रा को लाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पिंजरे बनाने का काम भी अंतिम दौर में है। इसके साथ ही वाक इन एवेरी भी यहां बनाई जा रही है, जिसका काम भी लगभग पूरा हो गया है और अगले माह से इसे शुरू होना है। इसमें विदेशी पक्षियों के बीच दर्शक घूम सकेंगे। वहीं बंदरों को खुले में रखने के लिए मंकी पौंड का निर्माण काम भी अंतिम दौर में है।
जनवरी में ही किया था 2 करोड के कामों का लोकार्पण
इंदौर चिड़ियाघर में लगातार बढ़ते दर्शकों की संख्या को देखते हुए चिड़ियाघर में छह माह पहले ही 2 करोड़ के काम नगर निगम ने करवाए थे। जिसमें कांच के पिंजरों वाला स्नेक हाउस, सहित आधुनिक और आकर्षक गेट, वॉल, पेवर ब्लॉक सहित पार्किंग एरिया तैयार किया गया था। इन सभी का लोकार्पण तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह और इंदौर की महापौर रही मालिनी गौड ने किया था।
शिफ्ट करने का मतलब सुविधा छीनना
चिड़ियाघर अभी हर तबके की आसान पहुंच में है। वहां तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध है। यह शहर की पहचान बन चुका है। इसे कहीं ओर शिफ्ट करने का मतलब है शहर के लोगों और बच्चों से उनकी सुविधा छीनना।
-मालिनी गौड़, पूर्व महापौर
नौलखा की जमीन पर दूसरे प्रोजेक्ट ला सकेंगे
चिड़ियाघर के चारों तरफ सड़क है। जानवर डिस्टर्ब होते हैं। पुराना प्रस्ताव है कि चिड़ियाघर को एकांत स्थान पर शिफ्ट करना चाहिए। इसमें रालामंडल को मुफीद बताया था। गुरुवार को बैठक कर रहा हूं। चिड़ियाघर शिफ्ट होगा तो नौलखा की जमीन पर कुछ और प्रोजेक्ट ला सकेंगे।
-विजय शाह, वन मंत्री
सरकार के स्तर पर चर्चा बाकी
इंदौर चिड़ियाघर को लेकर एक बैठक हुई है, इसमें सरकार के स्तर पर आगे चर्चा होना है। गुरुवार को इसके लिए एक अन्य बैठक होगी। - डॉ, उत्तम यादव, डायरेक्टर इंदौर जू