नवंबर की 4 तारीख। रात का तापमान दूसरे दिन भी सामान्य से 3 डिग्री कम... 12.6 डिग्री पर। नवंबर के पहले हफ्ते में ऐसी ठंड 10 साल में पहली बार पड़ी है। एक नवंबर से ही रात में माैसम के तेवर ऐसे बने हुए हैं। माैसम वैज्ञानिकाें का कहना है कि नवंबर के बाकी दिनों में रात में ऐसी ही ठंड पड़ने के आसार हैं। इसके अलावा इस माह के आखिरी हफ्ते में शीतलहर भी चल सकती है।
इसकी वजह, इस बार माैसम पर ला नीना का असर हाेना है। इसके अलावा वेस्टर्न डिस्टरबेंस का प्रभाव भी पड़ रहा है। पिछले साल नवंबर में माैसम इतना ठंडा नहीं हाे सका था। 2019 में 4 नवंबर काे रात का तापमान 19.4 डिग्री दर्ज किया गया था। इस बार 4 नवंबर काे दर्ज रात का तापमान इससे 6.8 डिग्री कम है। 2012 से 2017 तक 4 नवंबर काे दर्ज रात के तापमान की तुलना में इस तापमान में 3 से 5 डिग्री तक कम है।
कोल्ड इवेंट का असर... तेज ठंड की ये दाे खास वजह
ला नीना का असर यहां के मौसम पर
माैसम वैज्ञानिक एवं ड्यूटी ऑफिसर पीके साहा ने बताया कि ला नीना एक प्राकृतिक घटना है। इसका सबंध प्रशांत महासागर से है। प्रशांत महासागर में पानी का तापमान 0.5 डिग्री से नीचे पहुंच गया है। इसे काेल्ड इवेंट भी कहा जाता है। इस बार इसी का असर माैसम पर पड़ा है।
वेस्टर्न डिस्टरबेंस का भी प्रभाव
माैसम विशेषज्ञ एसके नायक ने बताया कि हवा का चक्रवाती घेरा पश्चिमी की ओर ईरान- ईराक, अफगानिस्तान- पाकिस्तान हाेता हुआ देश के उत्तरी हिस्से में पहुंचता है। इसके कारण उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू- कश्मीर समेत उत्तरी हिस्से में बर्फबारी या बारिश हाेती है। इसका असर हमारे यहां भी पड़ता है।
शीतलहर के मायने... जब रात का तापमान सामान्य से 5 डिग्री या ज्यादा कम हाे, तब शीतलहर चलना माना जाता है।
सीजन की पहली शीतलहर
माह का पूर्वानुमान... माैसम केंद्र के पूर्वानुमान के मल्टी माॅडल इसेंबल(एमएमई) के आधार पर माना जा रहा है कि नवंबर के आखिरी हफ्ते में तापमान में ज्यादा गिरावट हाेने की संभावना है।
सेहत पर असर- ठंड में सूखापन, श्वांस रोगों में इजाफा
ऐसी ठंड में सूखापन ज्यादा हाेता है। इसकी वजह से श्वांस संबंधी बीमारियां बढ़ती हैं। अस्थमा, ब्राेंकाइटिस, फेफड़ें से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं। इन सभी बीमारियाें से बचने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। बुजुर्ग व बच्चे सुबह 8 से पहले व रात काे 8 बजे के बाद घर से नहीं निकलें ताे बेहतर है।
-डाॅ लाेकेंद्र दवे,एचओडी पल्माेनरी डिपार्टमेंट, जीएमसी
खेती पर असर...अंकुरण के लिए अनुकूल
खेती- किसानी के लिए यह माैसम अच्छा है। गेहूं, चना समेत रबी सीजन की अन्य फसलाें के लिए ऐसी ठंड फायदेमंद रहेगी। सबसे ज्यादा लाभ गेहूं की फसल काे हाेगा। इसकी बाेवनी 15 दिन पहले हाे सकती है। बीजाें के अंकुरण एवं पाैधाें की वृद्धि के लिए यह सर्दी अनुकूल रहेगी।
याेगेश द्विवेदी, सीईओ, सेंट्रल इंडिया फार्मस ऑर्गनाइजेशन