फारबिसगंज में मोदी बोले- परिवारवाद, गुंडागर्दी हार रही; कानून का राज लाने वाले जीत रहे

Posted By: Himmat Jaithwar
11/3/2020

पटना। चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज चौथा बिहार दौरा है। उन्होंने अररिया जिले के फारबिसगंज में रैली की। मोदी ने बिना नाम लिए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा "बिहार की पवित्र भूमि ने ठान लिया है कि इस दशक में बिहार को नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। बिहार के लोगों ने जंगलराज और डबल-डबल युवराजों को सिरे से नकार दिया है। बिहार में आज परिवारवाद और गुंडागर्दी हार रही है, कानून का राज लाने वाले जीत रहे हैं।"

मोदी के भाषण की 5 बड़ी बातें

1. 'बिहार में रंगबाजी, रंगदारी हार रही'
मोदी ने कहा कि NDA के विरोध में जो खड़े हैं, वो इतना कुछ खाने-पीने के बाद फिर से बिहार को लालच भरी नजरों से देख रहे हैं। लेकिन, बिहार की जनता जानती है, कौन बिहार का विकास चाहता है और कौन परिवार का। आज बिहार में परिवारवाद हार रहा है। आज बिहार में रंगबाजी और रंगदारी हार रही है। विकास जीत रहा है। आज बिहार में अहंकार हार रहा है, और परिश्रम जीत रहा है। आज बिहार में घोटाला हार रहा है, और लोगों का हक फिर से जीत रहा है। आज बिहार में गुंडागर्दी हार रही है, कानून का राज वापस लाने वाले फिर जीत रहे हैं।

2. 'एक वक्त था जब बिहार में गरीबों के वोट छीने जाते थे'
बिहार वो दिन भूल नहीं सकता, जब चुनाव को इन लोगों ने मजाक बनाकर रख दिया। इनके लिए चुनाव का मतलब था, चारों तरफ हिंसा, हत्याएं, बूथ कैप्चरिंग, बिहार के गरीबों से इन लोगों ने वोट देने तक का अधिकार भी छीनकर रखा था। गरीबों को घरों में कैद कर उनके नाम से जंगलराज वाले खुद जाकर वोट दिया करते थे।

3. 'बीते दशक में जंगलराज का असर कम किया, अब नई उड़ान का वक्त'
अब 2021 से 2030 वाला दशक, बिहार की उम्मीदों को पूरा करने का समय है। बीते दशक में बिहार में हर घर में बिजली पहुंची, अब ये दशक बिहार को चौबीसों घंटे जगमगाने का है। बीते दशक में सड़कों की स्थिति सुधरी, अब नए एयरपोर्ट, नए वाटरपोर्ट देने का है। बीते दशक में जंगलराज के असर को कम किया गया, अब वक्त नई उड़ान का है।

4.'लोगों को डराकर सत्ता पाने वालों को बिहार पहचान चुका है'
बिहार अब उन लोगों को पहचान चुका है, जिनका सपना है किसी तरह लोगों को डराकर, अफवाह फैलाकर, समाज को बांटकर, कैसे भी कर सत्ता हथिया लेनी है। इनकी तो बरसों से यही सोच है। इन्होंने यही देखा है, यही समझा है, यही सीखा है।

5. 'कांग्रेस को अपने झूठ की सजा मिल रही'
झूठ बोल-बोलकर कांग्रेस ने देश के लोगों को क्या-क्या सपने दिखाए। याद कीजिए, दशकों पहले के वो दिन गरीबी हटाएंगे, गरीबी हटाएंगे, चुनाव आते ही कहते थे किसानों का कर्ज माफ करेंगे, फौजियों से कहते थे वन रैंक-वन पेंशन लागू करेंगे। व्यापारियों से कहते थे- टैक्स का जाल कम करेंगे। बातें बहुत कीं, लेकिन दस्तावेज गवाह हैं, इन्होंने एक भी काम नहीं किया। जनता को लंबे अरसे तक मूर्ख नहीं बना सकते हो। आज कांग्रेस की हालत ये है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों को मिला दें तो भी कांग्रेस के पास 100 सांसद नहीं हैं। जनता ने उनका ये हाल कर रखा है। जब भी मौका मिलता है, जनता सजा देती रहती है।

मोदी दूसरी रैली सहरसा के पटेल मैदान पर है। इन 2 रैलियों के जरिए मोदी तीसरे फेज की 36 विधानसभा सीट को कवर करने की कोशिश करेंगे। आज ही 94 सीट पर वोटिंग भी हो रही है।

मोदी की जहां रैली, वहां कितनी सीटें?
प्रधानमंत्री अब तक बिहार में 10 रैलियां कर चुके हैं। उन्होंने 23 अक्टूबर को सासाराम, भागलपुर, और गया में 3 रैली की थीं। 28 अक्टूबर को दरभंगा, मुजफ्फरपुर और पटना में 3 रैली की थीं। इससे पहले प्रधानमंत्री की 1 नवंबर को तीन रैली होनी थी, लेकिन कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया गया। इसके बाद एक नवंबर को उन्होंने छपरा, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर और पश्चिमी चंपारण में 4 जनसभाएं की। 11 दिनों में प्रधानमंत्री अब तक 10 रैली कर चुके हैं।

पिछली 10 रैलियों में मोदी के बड़े बयान

  • 23 अक्टूबर को सासाराम और भागलपुर रैली में प्रधानमंत्री ने महागठबंधन पर निशाना साधा था। उन्होंने 15 साल पहले के लालू राबड़ी के शासन पर कहा था कि 90 के दशक का कुशासन आज भी दिखता है।
  • 28 अक्टूबर को मोदी ने दरभंगा रैली में कहा कि पहले की सरकारों का मंत्र था- पैसा हजम, परियोजना खत्म। इसके बाद मुजफ्फरपुर में तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा कि जंगलराज के युवराज को बिहार की जनता अच्छी तरह से जानती है। इनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड देखकर जनता इनसे और क्या उम्मीद कर सकती है।
  • 1 नवंबर को मोदी ने कहा कि यूपी में भी चुनाव के दौरान डबल-डबल युवराज थे। गांव-गांव युवराज घूम रहे थे। जनता ने घर लौटा दिया। अब बिहार में हाथ हिला रहे हैं। यहां जंगलराज के युवराज के साथ घूम रहे हैं। पर, ये युवराज अपने परिवार से बाहर सोच ही नहीं सकते।



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