चीफ जस्टिस ने कहा- डर और दहशत कोरोना से बड़ी समस्या बन रही, सरकार बताए- उसने गरीब-मजदूरों के लिए अब तक क्या किया

Posted By: Himmat Jaithwar
3/31/2020

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में साेमवार को उन हजारों प्रवासी मजदूरों का मुद्दा उठा, जो लॉकडाउन के बीच भूखे-प्यासे पैदल ही घर लाैट रहे हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने इन्हें राहत दिए जाने की मांग से जुड़ी याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की। चीफ जस्टिस ने कहा, मौजूदा समय में लोगों के बीच डर और दहशत कोरोनावायरस से बड़ी समस्या बन रहा है। केंद्र सरकार इस मामले में बताए कि उसने इन लोगों के लिए क्या व्यवस्था की है। अदालत ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का वक्त दिया।

सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर 12:15 बजे मामले की सुनवाई होनी है। कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा- कोरोना संकट के सबसे बड़े पीड़ित असंगठित प्रवासी मजदूर हैं। ये देश के अलग-अलग शहरों में रिक्शा चालक, कारखाना मजदूर, घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं। उनके पास संसाधन या इतने पैसे नहीं हैं कि वे लॉकडाउन के वक्त 21 दिन गुजार सकें। केंद्र ने 1.7 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया है, लेकिन सफर में फंसे होने से इन मजदूरों को उसका लाभ नहीं मिल पाएगा।

सोमवार को कोर्टरूम में हुई बहस:

याचिकाकर्ता: प्रवासी मजदूर अपने गांव की ओर पैदल चल पड़े हैं। न तो परिवहन के साधन हैं, न खाना और चिकित्सा सुविधा। इन प्रवासियों को ये सुविधाएं देने के लिए केंद्र और राज्यों को आदेश दिया जाए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: केंद्र व  राज्य सरकारों ने इन समस्याओं के निदान के लिए जरूरी उपाय पहले ही शुरू कर दिए हैं। हम उन उपायों के बारे में कोर्ट को बताना चाहते हैं। हमें मोहलत दी जाए।
याचिकाकर्ता: मजदूरों के पैदल निकलने से पैदा हुई समस्या से निपटने के लिए सरकारों के बीच सहयोग की कमी है।  
चीफ जस्टिस: हम उन मामलों में दखल देना नहीं चाहते, जिसके लिए केंद्र या राज्य सरकारें प्रयास कर रही हैं। 
याचिकाकर्ता: कुछ काउंसलर नियुक्त किए जाने चाहिए, जो शहर से गांव जा रहे लोगों को समझा सकें। 
चीफ जस्टिस: देश में इस समय लोगों में डर और दहशत कोरोना से कहीं बड़ी समस्या है। इस बारे में केंद्र सरकार रिपोर्ट पेश करे। 
एक अन्य याचिकाकर्ता रश्मि बंसल- सुविधाएं देने के साथ उनके समूह को सैनिटाइज किया जाना चाहिए। 
मेहता: लोगों में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि हम पलायन को सुविधाजनक कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट पलायन करने वालों की मदद करने जा रहा है। 
चीफ जस्टिस: हम किसी भी तरह का आदेश जारी कर इस मुद्दे को उलझाना नहीं चाहते। इसलिए हम पहले केंद्र सरकार के जवाब को देखेंगे। अब इस मामले को मंगलवार को सुनेंगे।  

केरल के सांसद बोले- कर्नाटक लॉकडाउन का फैसला वापस ले
कर्नाटक सरकार के नाकेबंदी के फैसले का केरल में कासरगोड से कांग्रेस सांसद राजमोहन उन्नीथन ने विरोध किया है। उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा- सीमा सील किए जाने से केरल में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इससे उनके संसदीय क्षेत्र के लोग मेडिकल सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।
जेल में बंद 50 साल से ज्यादा उम्र के कैदियों को रिहा करने की मांग
एक वकील ने 50 साल से अधिक उम्र के कैदियों को पेरोल या जमानत पर रिहा करने पर विचार करने का निर्देश देने की मांग को लेकर याचिका दायर की। उन्होंने यह भी मांग की कि उन कैदियों के बारे में भी विचार करने का निर्देश दिया जाए, जो सांस की बीमारियों से जूझ रहे हैं।



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