भोपालः मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा उप चुनाव के बाद पार्षदों के चुनाव भी होना है. जिसके पहले निकाय चुनाव, पार्षद उम्मीदवारों के लिए नई व्यवस्था लेकर आया है. अब चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों को अपने खर्च का हिसाब राज्य निर्वाचन आयोग को देना होगा. पार्षद पद के लिए खड़े होने वाले उम्मीदवार अगर अपने खर्च का हिसाब 30 दिन के अंदर नहीं दे पाते है तो उन्हें चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.
कितनी है पार्षदों की खर्च सीमा?
नगर पालिका और नगर निगम के विभिन्न वार्डों के लिए होने वाले पार्षद चुनाव में प्रत्याशियों के प्रचार की खर्च सीमा भी निश्चित होती है. अगर नगर निगम क्षेत्र की आबादी 10 लाख से ज्यादा है, तो वहां पर 8.75 लाख रुपये खर्च सीमा होगी. 10 लाख से कम की जनसंख्या होने पर पार्षद प्रत्याशी 3.75 लाख रुपये तक खर्च कर सकते है. एक लाख से अधिक जनसंख्या पर प्रत्याशी 2.50 लाख और 50 हजार से एक लाख की आबादी पर प्रत्याशी 1.50 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. इसके अलावा क्षेत्र की आबादी 50 हजार से कम होने पर 1 लाख रुपये की खर्च सीमा रखी गई है.
आम चुनावों में कितना खर्च कर सकते हैं प्रत्याशी?
देश में इस बार होने वाले लोकसभा उप चुनाव लड़ने के दौरान एक उम्मीदवार की ओर से अधिकतम 77 लाख रुपये खर्च किया जा सकता है. तो छोटे राज्यों में 59 लाख रुपये खर्च की सीमा तय की गई है. विधानसभा उप चुनाव के लिए यह राशि 30.8 लाख रुपये तय की गई है. इसके साथ ही छोटे राज्यों में विधानसभा उप चुनाव के लिए 22 लाख रुपये का खर्च किया जा सकता है.
कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए इस बार होने वाले उप चुनावों में प्रत्याशियों के खर्च की राशि को बढ़ा दिया गया है. लेकिन सभी प्रत्याशियों को अपने खर्च का हिसाब निर्वाचन आयोग को अनिवार्य रूप से देना होगा.