इंदौर में कोरोना ने रावण को किया बौना, 111 फीट के बजाय 21 फीट ऊंचे पुतले का दहन; देखने के लिए बमुश्किल जुटे 100 लोग

Posted By: Himmat Jaithwar
10/26/2020

इंदौर में हर साल की तरह इस साल भी बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व विजयादशमी की धूम तो है, लेकिन कोरोना ने त्योहार की रौनक फीकी कर दी है। इंदौर के प्रसिद्ध दशहरा मैदान पर इस साल दशकों पुरानी परंपरा टूट गई। हर साल जहां हजारों लोगों की मौजूदगी में दशहरा मैदान में शाम को 7 बजे 111 फीट के रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले सहित लंका का दहन किया जाता था। वहीं, इस बार बमुश्किल 100 लोगों की मौजूदगी में रावण की 21 फीट के पुतले का दहन कर दिया। इस साल कोविड-19 के संकट ने रावण के कद को छोटा कर दिया। वहीं, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले भी गायब रहे।

दशहरा मैदान का रावण, थोड़ी ही देर में धू-कर जलने लगा।
दशहरा मैदान का रावण, थोड़ी ही देर में धू-कर जलने लगा।

रावण दहन देखने के लिए बमुश्किल 100 लोग जुटे। भगवान राम, लक्ष्मण के वेश में पहुंचे कलाकारों ने जैसे ही रावण पर तीर छोड़े, लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाए और थोड़ी देर में रावण धू-धूकर जल गया। विजयादशमी पर अच्छाई की जीत हुई और लोगों ने एक-दूसरे को विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं। इंदौर में दशहरा मैदान, रामबाग, चिमन बाग, राजेंद्र नगर, कलानी नगर, GPO, विजय नगर, तिलक नगर समेत करीब 300 जगहों पर रावण दहन के आयोजन किए गए।

हाेल्कर कालीन पारंपरिक राम यात्रा भी नहीं निकली

होल्कर कालीन पारंपरिक राम रथ यात्रा भी इस साल नहीं निकाली गई। आतिशबाजी का शोर भी कम ही रहा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन इंदौर में किया जा रहा है, ताकि कोरोना संक्रमण न फैले। परंपरा न टूटे, इसलिए दशहरा महोत्सव समिति ने पूरे एहतियात के साथ त्योहार मनाया। इसलिए इस साल केवल 21 फीट का रावण जलाया गया। इसके अलावा न कोई मंच रहा और न ही हाथी-घोड़े वाली साज-सज्जा रही। बस भगवान राम के प्रतीक के रूप में एक भक्त के जरिए रावण का दहन कराया गया।

दिन में रावण को जलाने की तैयारी दशहरा मैदान में कर ली गई थी। यहां पर 21 फीट का रावण का पुतला शाम को खड़ा हो गया था।
दिन में रावण को जलाने की तैयारी दशहरा मैदान में कर ली गई थी। यहां पर 21 फीट का रावण का पुतला शाम को खड़ा हो गया था।

दशहरा महोत्सव समिति के सदस्य और कलाकार हीरालाल सलवाडिया ने बताया कि इस साल लोगों की भीड़ एकत्रित न हो, इसलिए 21 फीट का रावण दहन किया गया है। हमारी तरफ से शाम को ठीक 7 बजे रावण दहन कर दिया गया है। लिहाजा, इसके पहले लोगो ने बौने रावण को निहारा और ये माना कि कोरोना काल के चलते परेशानी आई और उत्साह में कमी देखी जा रही है।

लोग छोटे कद के रावण बाजार से खरीदकर ला रहे

इधर, शहर के कई इलाकों में लोगो द्वारा खुद बाजार से खरीदकर रावण लाए जा रहे है ताकि वो इस पर्व को सेलिब्रेट कर सके। वही प्रशासन और निगम कि टीम भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के साथ ही अन्नपूर्णा रोड़ पर लगने वाले मेले को नही लगाने के निर्देश दे रही है। ताकि सोशल गेदरिंग न हो और परंपरा भी कायम रहे।

विजयनगर क्षेत्र में दिन में सारी तैयारियां कर ली गई थीं।
विजयनगर क्षेत्र में दिन में सारी तैयारियां कर ली गई थीं।

आयोजकों को 100 लोगों की अनुमति

कोरोना का असर रावण दहन के आयोजनों पर भी दिखाई दे रहा है। दशहरे के पहले रावण दहन के शहर में अलग-अलग आयोजन होते हैं, लेकिन इस बार रावण दहन में पुलिस प्रशासन ने 100 लोगों की अनुमति आयोजकों को दी है। पुलिस को भीड़ जुटने की संभावना है, ऐसे में रावण दहन के आयोजनों में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं, तो वहीं पुलिस प्रशासन भी रावण दहन के पहले आसपास सुरक्षा व्यवस्था आयोजनों के साथ मिलकर बेहतर रूप से करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

विजय नगर में जहां पर रावण का दहन होगा, वहां पर गोल घेरे बनाए गए हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग बनाई जा सके।
विजय नगर में जहां पर रावण का दहन होगा, वहां पर गोल घेरे बनाए गए हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग बनाई जा सके।

रावण दहन में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बनाए गए गोले

रावण दहन के आसपास बैरिकेडिंग कर रही है, ताकि जितने लोगों को अनुमति दी गई है, इतने ही अंदर ग्राउंड में प्रवेश करने के साथ ही साथ सोशल डिस्टेंसिंग का खास तौर पर ख्याल रखा जा सके, लेकिन पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए है।

विजयनगर थाना क्षेत्र में बनाए गए रावण दहन के पहले थाना प्रभारी तहजीब काजी द्वारा पूरे मैदान में दो-दो मीटर दूरी के गोले बनाए गए। शाम को 5:00 बजे से अनाउंसमेंट किया गया कि सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाकर ही इस त्यौहार का आनंद लिया जाए। सुबह 12:00 बजे बाद से सभी थाने के स्टाफ द्वारा लगातार मैदान में सर्कल बनवाने का काम किया गया है।

पहली बार ये सब नजर नहीं आया

  • रामजी की वानर सेना के साथ शोभायात्रा। दशहरा मैदान, चिमनबाग सहित अन्य रावण दहन के पहले शोभायात्रा निकलती है। इस बार नहीं होगा।
  • आयोजन स्थल पर न मंच लगेगा, न बैठने के लिए व्यवस्था की गई।
  • लंका दहन भी इस बार नहीं किया गया, सिर्फ रावण का दहन हुआ।
  • कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी रावण के साथ गायब रहे।
  • चिमनबाग मैदान पर महाकाल सवारी की तोपची और आतिशबाजी भी नहीं हुई।



Log In Your Account