जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर से प्रदेश की राजधानी भोपाल तक जाने के लिए मार्ग तो कई हैं, लेकिन अधिकृत तौर पर सीधी सड़क अगले साल तक तैयार हो सकती है। यह सड़क एनएच-12 जबलपुर अंध-मूक चौराहे से राजमार्ग-बाड़ी बरेली से भोजपुर जंक्शन तक 292 किलोमीटर के दायरे में तैयार हो रही है।
सड़क शहरी हिस्सों के करीब सर्विस लेन के साथ सिक्सलेन के अंदाज में विकसित हो रही है तो शेष हिस्से में 200 फीट निर्माण एरिया है। इस नेशनल हाईवे को केन्द्रीय सड़क एव परिवहन मंत्रालय ने अगले 12 माह के अंदर तैयार करने का दावा किया है।
केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इसके धीमे निर्माण की गति पर पिछले दिनों आपत्ति जताई थी, लेकिन पिछले दिनों में इसकी समीक्षा में बताया जा रहा है कि बाड़ी बरेली के पास एलीवेटेड फ्लाई ओवर, नरसिंहपुर के हिस्से में जंगल के नजदीक इसके काम की गति बढ़ी है। आगे अब किसी तरह का व्यवधान ज्यादा नहीं हुआ तो दावा किया जा रहा है कि अगले साल यह नया सीधा मार्ग बनकर तैयार हो जाएगा।
जा सकते हैं ओशो की जन्म स्थली
इस मार्ग से अब आचार्य रजनीश ओशो की जन्म स्थली कचवाड़ा रायसेन तक जाना कुछ आसान हो सकता है। बाड़ी बरेली की घाटी को क्राॅस करते हुये इसी मार्ग से पहुँचा जा सकता है। फिलहाल यहाँ जाने के लिए राहतगढ़ की ओर से जाना पड़ता है। आने वाले समय में मार्ग एक तरह से कुछ राहत देने वाला भी साबित होगा। पी-4
1968 में पहली बार बनी सड़क } गौरतलब है िक वर्ष 1968 यानी करीब 52 साल पहले इस मार्ग को टू-लेन अंदाज में विकसित किया गया। इसमें लगातार हैवी ट्रैफिक रहा। इसको आगे फिर भोपाल से आगे जयपुर से जोड़ दिया गया। सालों तक इसके फोरलेन में विकसित करने की कोशिश हुई पर यह कोशिश कुछ सालों तक सफल नहीं हो सकी।
इसके बाद कई तरह की प्रक्रियाओं और फाइल यहाँ से वहाँ दौड़ने के बाद जमीन अधिग्रहण, निर्माण कंपनियों का टर्मिनेशन, सड़क बनाने का मोड बदलने की प्रक्रिया पूरे होते ही अलग-अलग पाँच हिस्सों में इसको बीते कुछ सालों से बनाया जा रहा है।
निर्माण एरिया 292 कुल 315 किलाेमीटर में राजधानी की सीमा को छू लेती है। हर तीन माह में इस सड़क की निर्माण की प्रोग्रेस को केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को बताना है। फिलहाल इसके बनने में अगले साल तक इंतजार करना होगा।
दमोह मार्ग वर्षों से पीड़ादायक
- जबलपुर-दमोह-सागर-भोपाल।
- राहतगढ़ के करीब यह मार्ग खराब।
- साथ ही अभी दमोह तक जाने में भी परीक्षा।
यहाँ जंगली एरिया में मुसीबत ज्यादा
- जबलपुर-तेंदूखेड़ा-रहली-सागर-विदिशा-भोपाल।
- इसमें नौरादेही के हिस्से में 55 स्पीड ब्रेकर बना दिये।
- एक नीलगाय मरने से सड़क की गति कम कर दी।
- तेंदूखेड़ा-महाराजपुर होकर जाने वाला मार्ग
- इस मार्ग में जंगली एरिया में वाहन ज्यादा।
- बड़े वाहन प्रतिबंधित हों तभी कुछ राहत ।
- ट्राफिक की वजह से नहीं मिल पाती है रफ्तार।
समय, ईंधन भी कम खर्च होगा
यह सड़क पूरी फोरलेन बनकर तैयार हो जाती है तो भोपाल के लिए अधिकृत सड़क होगी। इससे भोपाल जाने में कम समय में पहुँचा जा सकता है। अंध-मूक चौराहे से भेड़ाघाट, नटवारा, राजमार्ग, बाड़ी बरेली और फिर भोजपुर जंक्शन से भोपाल तक जा सकते हैं। कुल मिलाकर नई सड़क 292 किलोमीटर होगी जिसमें भोपाल तक पहुँचने में 315 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। और सड़कों से यह दूरी कम है।
साथ में सीधी सपाट, चौड़ी सड़क मिलने से ट्रैफिक, गड्ढे और कई तरह की मानसिक परेशानियों से भी मुक्ति मिल सकती है। एमपीआरडीसी के डीएम राजेन्द्र चंदेल कहते हैं कि अपने हिस्से का काम जल्द पूरा कर देंगे, वहीं भोपाल के हिस्से को लेकर एमपीआरडीसी भोपाल के डीएम पवन अरोरा कहते हैं कि हम तय सीमा से पहले निर्माण कर देंगे।
सभी परेशानियों का समाधान इसमें मिलेगा
- भोपाल जाने में सभी तरह की परेशानियों का समाधान तभी हो सकता है जब सीधे एनएच-12 बनकर तैयार हो जाएगी।
- संकरी नहीं चौड़ी सड़क मिलेगी। कम समय में भोपाल पहुँचकर आदमी अपना काम निपटाकर वापस भी आ सकता है।
- नरसिंहपुर के हिस्से में काम जल्द हो तो इसका निर्माण संभव है कि एक साल के अंदर पूरा हर हाल में हो सकता है।
सीधा मुख्य मार्ग बन रहा ऐसा
- जबलपुर अंध-मूक चौराहे से हिरण नदी तक
- कुल निर्माण एरिया 55 किलोमीटर
- एमपीआरडीसी जबलपुर के पास है यह हिस्सा
- दूसरा हिस्सा हिरण नदी नरसिंहपुर से सिंगूर नदी तक
- यह निर्माण एरिया 63 किलोमीटर
- एनएचएआई के पास है यह हिस्सा
- शेष तीन हिस्सा भोपाल एमपीआरडीसी बना रहा
- उनका निर्माण एरिया है 174 किलोमीटर
- कुल निर्माण एरिया एनएच-12, 292 किलोमीटर है