भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। अब दमोह विधानसभा से कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी ने पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा को रविवार सुबह इस्तीफा दे दिया। इसके 1 घंटे बाद ही वह भाजपा में शामिल हो गए।
इस्तीफा देने के बाद राहुल लोधी सीधा भाजपा कार्यालय पहुंचे। यहां नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में उन्होंने भाजपा जॉइन की। राहुल लोधी के पार्टी छोड़ने की अटकलें पहले से हीं थी। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी उनसे मुलाकात की थी। राहुल दमोह सीट से पहली बार विधायक बने थे। उन्होंने भाजपा के जयंत मलैया को हराया था।
उधर, प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर का कहना है कि राहुल लोधी ने दो दिन पहले इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, उन्होंने उन्हें दो दिन का समय दिया था, ताकि विधायकी छोड़ने के पहले वे अच्छे से सोच-विचार कर लें। दो दिन बाद भी उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला।
प्रद्युम्न के चचेरे भाई हैं
राहुल बड़ामलहरा से भाजपा उम्मीदवार प्रद्युम्न सिंह लोधी के चचेरे भाई हैं। प्रद्युम्न भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। तब राहुल की प्रतिक्रिया सामने आई थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने ही उन्हें राजनीतिक रूप से सक्षम बनाया है। इसलिए वह हमेशा कांग्रेस के साथ ही रहेंगे। परिस्थितियां कैसी भी आ जाएं, वह कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ेंगे।
राहुल सिंह लोधी से पहले 25 विधायक कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
राहुल लोधी के इस्तीफे के बाद अब मध्यप्रदेश में सदन की स्थिति
पार्टी |
सीट |
भाजपा |
107 |
कांग्रेस |
87 |
बसपा |
2 |
सपा |
1 |
निर्दलीय |
4 |
खाली सीट |
29 |
भाजपा के विकास कार्यों ने प्रभावित किया: राहुल
भाजपा जॉइन करने के बाद राहुल ने कहा कि उन्होंने सबसे पहला वचन दमोह में मेडिकल कॉलेज खोले जाने का दिया था, लेकिन कमलनाथ ने 15 महीने में कुछ नहीं किया। विकास की तो बात ही नहीं की गई। वह तब भी अडिग थे और आज भी हैं। प्रलोभन की बात नहीं है। छह महीने में भाजपा सरकार ने जिस तरह से विकास किया है, उसी को देखते हुए वह भाजपा में शामिल हुए हैं।
कांग्रेस का पलटवार
राहुल के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा- प्रदेश पर 25 उपचुनाव थोपने वाली भाजपा अभी भी बाज नहीं आ रही है। लोकतंत्र की हत्या और सौदेबाजी का खेल अभी भी जारी है। भाजपा ने चुनाव में अपनी संभावित हार देखते हुए खरीद-फरोख्त का खेल फिर शुरू कर दिया है।