इंदौर। इंदौर के 5624 लोगों ने शहर के बीच बह रही सरस्वती नदी को बचाने भागीरथी प्रयास किया है। घर की छत कच्ची है, लेकिन नदी में गंदगी मिलने से रोकने के लिए किसी ने ब्याज पर लेकर 35 हजार रुपए जुटाए तो किसी ने पूरी जमा पूंजी लगा दी। अहमदाबाद की साबरमती की तरह जल्द सरस्वती को गंदगी से मुक्ति मिलेगी।
दरअसल, 2017 से चल रहे नदी सफाई अभियान में नदी किनारे के वे घर बड़ा रोड़ा थे, जिनका गंदा पानी नदी में जा रहा है। सरस्वती, कान्ह और इनसे जुड़े 6 नालों में 300 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) गंदा पानी बहता था। सफाई में कीर्तिमान बना चुके शहर के इन बाशिंदों ने नदी के लिए भी वैसी ही एकजुटता दिखाई, जिसके कारण 26 अक्टूबर को सरस्वती सीवर मुक्त हो जाएगी।
घर पर पक्की छत नहीं है, नदी के लिए खर्चे 30 हजार
बारा मत्था की राजूबाई दीक्षित के घर पर पक्की छत नहीं है। उन्होंने नदी में गंदगी मिलने से रोकने के लिए ब्याज पर लेकर 30 हजार रुपए खर्च किए हैं। वे कहती हैं कि सालों से गंदा पानी नदी में जा रहा था, अच्छा नहीं लगता था। पहले मजबूरी थी, निगम ने लाइन डाली तो हमने भी हिम्मत कर ली।
पहले तो नाले के पास थे, अब नदी का सुख मिलेगा
छत्रीबाग के सुनील चौहान बताते हैं कि ड्रेनेज लाइन डालने के लिए हमें और गली वालों को 45-45 हजार का खर्च आया है। सभी समझते थे कि नदी में गंदा पानी डालकर गलत कर रहे हैं। अब काम हो गया है तो अच्छा लगता है कि नदी साफ होगी तो बदबू नहीं आएगी और नदी किनारे रहने का सुख मिलेगा।
गंदगी के साथ अब बीमारी से भी मिलेगी मुक्ति
बदरीबाग के मो. रफीक बताते हैं कि हम सालों से नाले किनारे रहने का दर्द झेल रहे थे। मजबूरी थी कि ड्रेनेज लाइन नहीं थी। निगम ने चेंबर बना दिए तो हमारी गली के सभी लोगों ने कनेक्शन लिए। 25 हजार के इंतजाम में दिक्कत हुई, लेकिन गंदगी नहीं होने से अब बीमारी नहीं होगी। पूरे शहर को फायदा होगा।