रविवार, 25 अक्टूबर को नवरात्रि की अंतिम तिथि नवमी है। इस तिथि पर देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए की गई विशेष पूजा बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करने वाली मानी गई है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानिए दुर्गा पूजा करते समय किन बातों का ध्यान खासतौर पर रखना चाहिए...
नवरात्रि में मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ बोए जाते हैं। वेदी पर सोने, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है। कलश पर भी सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी या पत्थर की देवी मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है। इन्हें जवारे कहा जाता है। इनकी पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए।
अगर मूर्ति न हो तो कलश के पीछे स्वास्तिक और उसके दोनों ओर त्रिशूल बनाकर दुर्गाजी का चित्र, पुस्तक या शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें।
देवी पूजा में स्वस्तिवाचन, शांतिपाठ करके पूजा का संकल्प करने का करना चाहिए। सबसे पहले गणेश पूजा करें। सोलह मातृका, लोकपाल, नवग्रह, पंचदेव और वरुण देव की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
देवी पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। ब्राह्मण द्वारा पूजा करवाने पर कोई भी गलती होने की संभावनाएं बहुत कम रहती हैं।
दुर्गा की पूजा में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन करें। श्री दुर्गासप्तशती का पाठ भी करना चाहिए।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि यानी 24 अक्टूबर को किसी छोटी कन्या का सुंदर श्रृंगार अपने हाथों से किया जाए तो देवी मां की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। इस दिन कन्या के पैरों पर चावल, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इस दिन कन्या को भोजन कराएं या भोजन के लिए धन का दान करें।
देवी दुर्गा की पूजा करने वाले भक्त को साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें और आलस्य का त्याग करें। सुबह जल्दी उठें और देवी पूजा करें।