धर्म आधारित शिक्षा कट्‌टरता बरपा रही, सारे कट्‌टरवादी और आतंकवादी मदरसों में पले-बढ़े, जम्मू कश्मीर को आतंकवाद की फैक्ट्री बनाकर रख दिया था

Posted By: Himmat Jaithwar
10/20/2020

मंत्री उषा ठाकुर का मंगलवार को एक बार फिर से विवादित बयान सामने आया। मदरसों को लेकर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा - सभी बच्चों को समान शिक्षा दी जानी चाहिए। धर्म आधारित शिक्षा कट्टरता बरपा रही है। विद्वेष का भाव फैला रही है। सारा कट्टरवाद और सारे आतंकवादी मदरसों में पले-बढ़े हैं। जम्मू कश्मीर को आतंकवाद की फैक्ट्री बनाकर रख दिया था। ऐसे मदरसे जो राष्ट्रवाद से, समाज की मुख्य धारा से हमें नहीं जोड़ सकते, उन्हें हमें समुचित शिक्षा के साथ जोड़कर समाज को सबकी प्रगति के लिए आगे लेकर जाना चाहिए। उन्होंने मदरसों को बंद करने को लेकर कहा कि असम ने मदरसे बंद करके भी दिखा दिया है। राष्ट्रवाद में जो भी बाधा डालेगा, ऐसी सारी चीजें राष्ट्रहित में बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मदरसों में शासकीय सहायता बंद होनी चाहिए। यदि कोई निजी तौर पर अपने धार्मिक संस्कार देना चाहता है तो हमारा संविधान उसे छूट देता है।

सीएए को लेकर कांग्रेस ने भ्रम फैलाया
ठाकुर ने कहा कि कमलनाथ ने कहा था कि मदरसे के इमाम को 5000 मोइजिन को 4500 रुपए देंगे, वक्फ बोर्ड आर्थिक दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। यहां कोई व्यवस्था करनी है तो उन्हीं के माध्यम से की जा सकती है। सरकार का इस पर अतिरिक्त करना अन्य वर्गों के हक को छीनने वाली बात है। सीएए को लेकर कांग्रेस ने देशभर में भ्रम फैलाया। इन्होंने सारी हदें पार कर देश के वातावरण को खराब करने की कोशिश की। उन लोगों के साथ मंच लगाए, उनकी लड़ाई लड़ने की बात की। कांग्रेस से पूछा जाना चाहिए कि वह देश में क्या चाहते हैं। निजी स्वार्थ के लिए क्या आप धर्म, प्रथा- व्यवस्थाओं.. सबकुछ बलिदान कर देंगे। पाकिस्तान में 14 फीसदी से हिंदू 1 फीसदी हो गया। कितनी यातना, कितनी प्रताडऩाएं सही, उनका ये विरोध करते हैं। उनके लिए कहीं कोई बात नहीं की। उन्हें यदि नागरिकता दी जाती है तो इन्हें तकलीफ होती है, ऐसे राष्ट्रद्रोही चेहरे बेनकाब होने चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि आदिवासियों ने कोई हिंदू नहीं लिखवाएगा, उनकी मंशा क्या...
15 महीने की कमलनाथ सरकार की नींव झूठ के आधार पर गढ़ी गई थी। वे कोई वादा पूरा नहीं कर पाए। उन्होंने एकता-अखंडता को खंड-खंड करने की रणनीति बना डाली। उन्होंने कहा कि मंदिरों की जो आमदनी है, उस पर 10 फीसदी टैक्स लगाएं। यह 10 फीसदी टैक्स जजिया कर से कोई कम नहीं है। मंदिरों की आमदनी वहीं के व्यवस्थाओं पर खर्च होनी चाहिए। सरकारी खजाने के लिए आप उसे टैक्स के रूप में वसूले ये सही नहीं है। उन्होंने दूसरे बिंदू को लेकर कहा कि यह सबसे घातक है। धर्मांतरण ही राष्ट्रांतरण है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों से कोई हिंदू नहीं लिखवाएगा। तो इनकी मंशा पूछनी चाहिए। जो अनादिकाल से हिंदू है, उसको ये कहने का क्या तुक है, आप क्या चाहते हैं। आप यहां के सामाजिक समरसता और देश की अखंडता को छिन्न-भिन्न कर देना चाहते हैं।



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