नौ दिन, नौ स्वरूप और नौ भोग, जानें किस दिन किस रूप में पूजी जाती है दुर्गे, क्या होता है भोग?

Posted By: Himmat Jaithwar
10/17/2020

नई दिल्ली:आज नवरात्रि का पहला दिन है.माना जाता है कि नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों को पूजा जाता है. पहला दिन मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि,आठवे दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री के रूप में मां को पूजा जाता है. हर दिन मां के अलग-अलग मंत्रों का उच्चारण करने से मनोकामना पूरी होती है और व्रत सफल होता है. 

1-पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. कहा जाता है इस दिन मां को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से रोगों और हर संकट से मुक्ति मिलती है. 

शैलपुत्री मां को लगता है गाय के घी का भोग







मंत्र:
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

2-दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. उन्हें शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से लंबी आयु वरदान मिलता है.

मां ब्रह्मचारिणी को लगाया जाता है पंचामृत का भोग










मंत्र:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

3-तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को पूजा जाता है. इस दिन मां को दूध या मावे से बनी मिठाई का भोग लगाया चाहिए. ऐसा करने से धन और वैभव की प्राप्ती होती है. 

मां चंद्रघंटा को लगता है दूध या मावे की मिठाई का भोग







मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

4-चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा की जाती है. इस दिन मां को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए और दान देना चाहिए. इससे सद्बुद्धी मिलती है. 

 मां कूष्माण्डा को लगाया जाता है मालपुए का भोग

मंत्र:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे॥

5-पांचवे दिनकी पूजा की जाती है. इस दिन मां को केले का भोग लगाया जाता है. ये नौकरी-पेशे के लिए अच्छा होता है और शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं. 

 मां स्कंदमाता को लगता है केले का भोग

 

मंत्र:
सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

6-छठे दिन मां कात्यायनी का दिन होता है, इस दिन मां को मीठा पान चढ़ाया जाता है, इससे सौंदर्य बढ़ता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनती है.

मां कात्यायनी को लगता है मीठे पान का भोग

मंत्र:
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

7-सातवे दिन मां कालरात्रि के रूप में पूजी जाती है. इस दिन मां को गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. ये हमें रोगों से दूर रखता है, साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. 

मां कात्यायनी को चढ़ाया जाता है गुड़

मंत्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

8-आठवे दिन महागौरी को पूजा जाता है. इस दिन मां को नारियल का भोग लगाया जाता है. इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और धन की प्राप्ती होती है. 

महागौरी को चढ़ाया जाता है नारियल

मंत्र:
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

9-नौवा दिन नवरात्रि का आखिरी दिन होता है और ये दिन मां भवानी का होता है. इस दिन व्रत का समापन किया जाता है. माता रानी को हलवा पूरी और खीर का भोग लगाकर, कंजक पूजी जाती है. ऐसा करने से दुर्घटनाओं से बचाव होता है और सभी सुखों की प्राप्ती होती है. 

मां भवानी को लगता है हलवा पूरी का भोग

मंत्र:
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयाात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।



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