विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के मामले में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को चौथी बार शुक्रवार को विधानसभा में पेश होने का नोटिस दिया गया। वहीं, अर्नब की ओर से दावा किया गया है कि नोटिस उन्हें दोपहर 2.50 बजे मिला। उन्हें सिर्फ 10 मिनट में यानी 3 बजे तक पेश होने के लिए कहा गया था।
चैनल की ओर से जारी बयान में इसे बदले की कार्रवाई बताया गया है। कहा गया है कि वे इस मामले को लेकर अदालत जाएंगे। अर्नब की ओर से कहा गया है कि इससे जुड़ा एक मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव निंदनीय, दुर्भावनापूर्ण और राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित है।
हमें अवैध नोटिस भेजे जा रहे: अर्नब
अर्नब ने कहा, 'हमें महाराष्ट्र विधानसभा से एक के बाद एक नोटिस आ रहे हैं। लेकिन, वे हमारे जवाबों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ये तरीका अवैध और असंवैधानिक है। महाराष्ट्र विधानसभा का उद्देश्य महाराष्ट्र के लोगों की सेवा करना है, न कि रिपब्लिक से बदला लेना। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन इन्होंने मुझे नोटिस भेजा और 10 मिनट के अंदर विधानसभा में पेश होने के लिए कहा। इसका क्या मतलब है? उन्होंने आज सार्वजनिक रूप से बदले की भावना दिखाई है।'
अर्नब के खिलाफ इसलिए जारी हुआ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बिना सदन की कार्यवाही की प्रति उच्चतम न्यायालय में जमा करने के मामले में महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने रिपब्लिक टेलीविजन के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी किया है। सचिवालय ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि अर्नब को 13 अक्टूबर को नोटिस जारी किया गया और 15 अक्टूबर को लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया।
इससे पहले 16 सितंबर को दो दिवसीय मानसून सत्र के दौरान अर्नब के खिलाफ शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक द्वारा विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया गया था। इस पर विधानसभा सचिवालय ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने को कहा था।
सरनाईक ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में प्रस्तुत कार्यक्रम में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य मंत्रियों को संबोधित करने के तरीके पर आपत्ति जताई थी। इस नोटिस पर पांच अक्टूबर की मियाद पूरी होने तक जवाब नहीं आने पर स्मरण-पत्र भेजकर 20 अक्टूबर तक जवाब तलब किया गया है।