निलंबित दो पुलिसकर्मियों पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज, महाकाल थाने के दो पुलिसकर्मी भी निलंबित, मुख्य आराेपी देर रात भोपाल से गिरफ्तार

Posted By: Himmat Jaithwar
10/17/2020

जहरीली झिंझर शराब (पोटली) से हुई 14 मौतों के तार निगमकर्मियों से होते हुए खाराकुआं थाने की पुलिस तक पहुंचने के बाद निलंबित आरक्षक अनवर और नवाब के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। ये दोनों सिकंदर और गब्बर के साथ जहरीली शराब व्यवसाय में सहयोग करते थे। उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा 304 धारा 328 आबकारी एक्ट की धारा 49 ए 3 आबकारी एक्ट में मामला दर्ज किया गया है।

एसआईटी ने मामले की जांच कर लोगों से पूछताछ की।
एसआईटी ने मामले की जांच कर लोगों से पूछताछ की।

उधर, फरार मुख्य आरोपी और नगर निगम से बर्खास्त अस्थायी कर्मचारी सिकंदर को एसआईटी ने भोपाल से शुक्रवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। उसका दूसरा साथी अब्दुल शकीर उर्फ गब्बर भी देर रात गिरफ्त में आ गया। वहीं, एसपी ने शनिवार को महाकाल थाने दो आरक्षक और को भी निलंबित कर दिया। मामले में इनकी भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है।

जांच के लिए उज्जैन पहुंची एसआईटी के सामने खुलासा हुआ था कि जहरीली शराब बनाने से लेकर बेचने तक के खेल में दो पुलिसकर्मियों की भूमिका है। दोनों से गृह विभाग के सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने पूछताछ भी की थी। पुलिस को इनकी एक फोटो भी मिली है, जिसमें पुलिसकर्मी नकली शराब कांड के आरोपी (नगर निगम के अस्थायी कर्मचारी) सिकंदर के साथ एक बर्थडे पार्टी में नजर आ रहा है। इधर, एसआईटी में शामिल डॉ. राजौरा ने निर्देश दिए कि उज्जैन के अलावा प्रदेश में जहां भी डिनेचर्ड स्प्रिट का ये लॉट पहुंचा है, उसे तुरंत सीज करवाओ, ताकि उज्जैन जैसी घटना की पुनरावृत्ति कहीं और न हो। जहरीली शराब पीने से गुरुवार रात तक 14 मौतें हो चुकी हैं। हालांकि प्रशासन 12 ही मौतें होना बता रहे हैं।

टीम को जांच में मौके से स्प्रिट की बोतल मिली थी।
टीम को जांच में मौके से स्प्रिट की बोतल मिली थी।

ऐसे जुड़े तार...
पुलिस गिरफ्त में आया यूनुस पहले शंकर कहार के पास काम करता था। शंकर भी झिंझर शराब बनाकर बेचता था। यहां से स्प्रिट से शराब बनाना सीखने के बाद यूनुस खाराकुआं थाने के उन दोनों पुलिसकर्मियों से मिला। दोनों पुलिसकर्मियों की अपराधियों से पहचान है। यहीं से प्लान बना कि क्यों न खुद इस तरह की शराब बनाकर बेची जाए। इसी में फिर सिकंदर और गब्बर को मिलाया गया। दोनों पुलिसकर्मियों ने रुपए लगाए। फिर नगर निगम के पुराने भवन के ऊपर शराब बनाने का खेल शुरू हुआ। दोनों पुलिसकर्मियों ने स्प्रिट से शराब बनाने से लेकर मैनेजमेंट संभालने तक का काम सिकंदर, गब्बर और यूनुस को सौंपा। बेचने का काम पप्पी लंगड़ा, संजू और अन्य करते थे। फिर नगर निगम के पुराने भवन के ऊपर शराब बनाने का खेल शुरू हुआ।



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