एनआईए ने आरोपियों के तार दाऊद से जुड़े होने का शक जताया; कोर्ट से कहा- जिन देशों से सोना पहुंचा वहां ‘डी’ गैंग एक्टिव है

Posted By: Himmat Jaithwar
10/15/2020

कोच्चि केरल गोल्ड स्मगलिंग के तार अंडरवर्ल्ड से जुड़ रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को शक है आरोपियों का संपर्क गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम रहा है। एजेंसी ने बुधवार को कोच्ची एनआईए कोर्ट में सौंपे गए लिखित जवाब में यह बात कही। एजेंसी ने दो आरोपियों रमीज केटी और सरफुद्दीन की ओर से दाखिल जमानत याचिका का विरोध करते हुए यह जवाब सौंपा। कोर्ट से जमानत मंजूर नहीं करने का अनुरोध भी किया।

गोल्ड स्मगलिंग का यह मामला 5 जुलाई को सामने आया था। कस्टम विभाग के अफसरों ने एक डिप्लोमेटिक बैगेज पकड़ा था। बैगेज यूएई से भेजा गया था। विदेश मंत्रालय से इजाजत मिलने के बाद इसे खोला गया था। जांच के बाद बैगेज में करीब 15 करोड़ रुपए कीमत का 30 किलोग्राम सोना मिला था। इस मामले में एनआईए ने रमीज केटी और सरफुद्दीन को आरोपी बनाया है।

‘तंजानिया में बंदूक बेचने वाली दुकानों पर गए थे आरोपी’

एनआईए ने कोर्ट में कहा, ‘‘दोनों आरोपियों ने तंजानिया की यात्रा की थी। वहां अफ्रीकी देशों की बंदूकें बेचने वाली दुकानों में गए थे। तंजानिया में रमीज ने डायमंड बिजनेस का लाइसेंस लेने की कोशिश की। बाद में वे यूएई पहुंचे। वहां से सोना तस्करी कर केरल लाए। तंजानिया और दुबई दोनों ही ऐसी जगहों पर दाऊद इब्राहिम का ‘डी’गैंग एक्टिव है। तंजानिया में डी-कंपनी के मामले एक दक्षिण भारतीय व्यक्ति फिरोज ओएसिस देखता है। हमें शक है कि आरोपी रमीज का लिंक डी-कंपनी से है।’’

नवंबर 2019 में गिरफ्तार हुआ था रमीज

गोल्ड स्मगलिंग का आरोपी रमीज नवंबर 2019 में गिरफ्तार हुआ था। उसे 13.22 एमएम बोर की राइफल्स की स्मगलिंग करने के आरोप में पकड़ा गया था। उसकी गिरफ्तारी के समय गोल्ड स्मगलिंग जारी थी। एनआईए ने कोर्ट को बताया कि उनके पास आरोपी सरफुद्दीन की एक ऐसी तस्वीर भी है, जिसमें वह तंजानिया में हाथों में राइफल थामे नजर आ रहा है।

इस मामले में हो चुकी है केरल सरकार की आलोचना

इस मामले को लेकर केरल सरकार की आलोचना हो रही है। पहले मामले की जांच कस्टम डिपार्टमेंट ने शुरू की थी। बैग जिस डिप्लोमेट के नाम पर लाया गया था, उसे हिरासत में लिया गया था। पूछताछ की गई थी। राज्य के कुछ अफसरों से इसके तार जुड़े थे। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आईएस अधिकार एम शिवशंकर का नाम सामने आया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें पद से हटा दिया था। बाद में विदेश मंत्रालय ने जांच एनआईए को सौंपने की मंजूरी दे दी थी।



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