13 लाख कैरेट हीरा दे चुकी पन्ना की खदान; 8.5 लाख कैरेट अब भी खदान के गर्भ में

Posted By: Himmat Jaithwar
10/14/2020

छतरपुर। हीरा के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध पन्ना जिले में स्थानीय लोग छोटी-छोटी उथली खदान लगाकर हीरा खनन करते हैं। पर हीरा की मुख्य उत्पादन एनएमडीसी (नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन) की मझगवां खदान से ही हो रहा है। इस परियोजना से अब तक एनएमडीसी 13 लाख कैरेट से अधिक का हीरा उत्पादन कर चुकी है। इस खदान में सबसे बड़ा हीरा 37.68 कैरेट का मिल चुका है।

अत्याधुनिक संयंत्रों से सुसज्जित एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना की उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 1 लाख कैरेट हीरों की है। परियोजना के लिए एनएमडीसी ने कुल 275 हेक्टेयर जमीन को लीज पर लिया है। इसमें से 113 हैक्टेयर जमीन खदान क्षेत्र है जबकि 162 हैक्टेयर प्रोसेसिंग प्लांट सहित अन्य कामों के लिए उपयोग किया जा रहा है। एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना के उत्पादन वर्ष 1968 से लेकर अब तक कुल 13 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन किया गया है।

वर्ष 1999 तक यहां हीरा की बिनाई की जाती थी। इसके बाद वर्ष 2001 में किंबर लाइट पत्थरों से हीरा निकालने के लिए आधुनिक प्लांट स्थापित किया गया। इस प्लांट के स्थापित होने के बाद से उपयोग कर उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1 लाख कैरेट प्रतिवर्ष किया गया है। भारतीय खनन ब्यूरो के द्वारा खनन सुरक्षा नियमों के तहत आगामी सालों में 90 लाख टन किंबर लाईट खनन का अनुमोदन किया गया है।

इतने किंबर लाईट पत्थर में करीब से 8.50 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन उम्मीद है। इसके लिए परियोजना को आगे कम से कम 10 सालों तक संचालन की जरूरत है। यह खदान पन्ना टाइगर रिजर्व की हिनौता रेंज क्षेत्र के किनारे है। वन्य जीव संरक्षण विभाग द्वारा परियोजना संचालन के लिए 31 दिसंबर तक की तक की अनुमति है। परियोजना सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अभी खदान से 9.08 लाख टन किम्बर लाईट अयस्क का खनन व उससे 8.5 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन शेष है।

1961 में पहला सबसे बड़ा हीरा, दूसरा 2018 में मोतीलाल को मिला

पन्ना | मध्य प्रदेश की रत्नगर्भा कही जाने वाली पन्ना की धरती में रंक से राजा बनने में समय नहीं लगता है। बीते 9 अक्टूबर 2018 को पन्ना के गरीब मजदूर मोतीलाल को पटी गांव की उथली खदान से 42 कैरेट 59 सेंट का बेशकीमती जैम क्वालिटी का हीरा मिला। यह हीरा 2 करोड़ 55 लाख में नीलाम हुआ। यह 57 साल बाद पन्ना में दूसरा सबसे बड़ा हीरा था। इससे पहले 15 अक्टूबर 1961 में रसूल मोहम्मद नाम के व्यक्ति को महुआटोला की उथली खदान में 44 कैरेट 55 सेंट का सबसे बड़ा हीरा मिला था।

2.37 करोड़ रुपए दिए मजदूर को नीलामी के बाद 13.5% रॉयल्टी (18 लाख) काटकर। यह हीरा झांसी के राहुल नाम के व्यापारी ने खरीदा।

उथली खदानें हैं। शर्तों के साथ नीलामी के दौरान इन्हें लीज पर दिया जाता हैं। यहां निकलने वाले हीरे को हीरा कार्यालय में जमा किया जाता है। जहां नीलामी में हीरा को बेचा जाता है और हीरा मालिक को रॉयल्टी काट कर रकम दी जाती है।

-रवि पटेल, जिला हीरा अधिकारी



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