भविष्य का भारत कैसा बने इस बात पर विचार करते हुए ” शिक्षा पद्धति ” की नींव रखी जाना चाहिए :केलकर

Posted By: Himmat Jaithwar
10/10/2020

रतलाम । कल का भारत कैसा हो उसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा पद्धति की नींव रखी जाना चाहिए ,जिसमें समर्थक भारत विकसित भारत शक्तिशाली भारत और मानव मात्र का हितैषी भारत बन सके यह बात साहित्य मंच द्वारा बुधवार को आयोजित साहित्य समागम में ” आज की शिक्षा कल का भारत ” के विषय पर बोलते हुए भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सूर्यकांत केलकर ने कही। उन्होंने कहा कि मैकाले की शिक्षा पद्धति ने देश की संस्कृति को विकृत किया और हमें काले अंग्रेज बना दिया आजादी के बाद अंग्रेज तो चले गए। लेकिन विरासत में अंग्रेजी छोड़ गए हमें इस मानसिकता को बदलना होगा मैकाले की पद्धति ने हमारे देश को भुला दिया।

केलकर ने कहा कि भारत का इतिहास हजार पांच सौ साल का नहीं बरन अनादि काल का है। जिससे मनुष्य आधारित लोकतंत्र था सारे निर्णय ग्राम पंचायत के आधार पर लिए जाते थे गांव गांव में विद्यालय के अनुशासन था आश्रम से गुरुकुल थे। जहां संस्कृति और हमारी पद्धति के आचार्य विचार का अध्ययन कराया जाता था। मैकाले की पद्धति ना हमारे प्यार को भुला दिया और ऐसी शिक्षा पद्धति विकसित की जिसका खामियाजा हमें आज तक भुगतना पड़ रहा है।

हम मानसिक रूप से स्वतंत्र नहीं केलकर ने कहा कि आज वह लोकतंत्र नहीं है जो सदियों पहले बल्कि वह लोकतंत्र अंग्रेजों की देन है।जिसमें वे सभी नियम कानून कायदे हैं जो उनके द्वारा बनाए गए हैं अभी भी हम मानसिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं।

माध्यमिक शिक्षा में एनसीसी को किया गया

केलकर ने कहा कि शिक्षा पद्धति कैसी हो इस पर वर्तमान सरकार ने विचार शुरू किया है देशभक्ति और नैतिक शिक्षा संस्कृति मातृभाषा को बढ़ावा इससे निश्चित ही मिलेगा भारत रक्षा मंच के सुझाव पर भी सीमावर्ती इलाकों में माध्यमिक शिक्षा में 9 से 12 तक एनसीसी को अनिवार्य किया गया है यह देश भर के सभी शैक्षणिक संस्थाओं में अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि भावी पीढ़ी देश भक्ति और संस्कार की भावना उत्पन्न हो

हमारी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना होगा केलकर ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा से ही मात्र भाषा और क्षेत्र परिवेश को महत्व दिया जाना अच्छी बात है।परिवार और समाज से ही बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मिलती है ,उसी के अनुसार उसके जीवन का निर्णय होता है। कानून और अंग्रेजी शिक्षा से ही हमारा भविष्य उज्जवल होगा यह भ्रम हमें मिटाना होगा और हमारी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना होगा।

देश की संस्कृति और सभ्यता को समझें
कल कल के प्रभावी उद्बोधन में शिक्षा जगत से व्याप्त विसंगतियों का भी जिक्र किया गया और मैकाले की शिक्षा नीति से उत्पन्न विकृतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि अब समय आ गया है कि जब हम अपने देश की संस्कृति और सभ्यता को समझें और इसे आगे बढ़ाएं।

हर व्यक्ति मशीन ही बनता जा रहा है झारिया
निगमआयुक्त सोमनाथ झारिया ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शिक्षा पद्धति संस्कार प्रदान करने वाली ना होकर मशीन और इंसान के बीच की शिक्षा प्रणाली विकसित हो गई है जिसके कारण हर व्यक्ति मशीनी बनता जा रहा है उससे मानवीय संवेदना है और नैतिक मूल्य समाप्त होते जा रहे हैं सभी पैकेज की ओर भाग रहे हैं। उनमें देश और समाज के बारे मैं व देश भक्ति और संस्कृति के बारे में सोचने की शक्ति समाप्त हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में व्याप्त विसंगतियों के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं केवल शिक्षा पद्धति जिम्मेदार नहीं है हम सब मिलकर बच्चों को मशीन ना बनाएं और यह मुख्य आवश्यकता है।



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