इंदौर। विधानसभा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपाइयों के बीच जुबानी जंग तेज हाे गई। पूरा चुनाव 15 महीने की कमलनाथ सरकार बनाम 6 महीने की शिवराज सरकार में तब्दील होता जा रहा है। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनाव प्रचार के दौरान घुटनों के बल बैठने को लेकर कांग्रेसी हमलावर हो गए हैं। पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए लिखा- लोकतंत्र की हत्या का पाप मामा माफ करने योग्य नहीं है, बीजेपी के कार्यकर्ता भी आपको माफ नहीं करेंगे... सत्ता का लालच बाप रे बाप! शुक्रवार को मंदसौर के सुवासरा में मंत्री हरदीप सिंह डंग के समर्थन में सभा करने गए शिवराज मंच पर घुटनों के बल बैठ गए थे और जनता से वोट देने की अपील की थी।
शिवराज ने कहा था - विकास में कोई कसर नहीं छोडूंगा, लेकिन ये तब होगा, जब हमारी सरकार रहेगी
मुख्यमंत्री चौहान ने शुक्रवार को कहा था- "कांग्रेस सरकार के समय जब भी कोई विधायक, मंत्री अपने क्षेत्र के विकास की बात करते थे, कमलनाथ के पास एक ही जवाब होता था पैसे नहीं हैं। लेकिन मामा कहता है विकास के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है। जो पैसे की कमी का बहाना लेकर हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाए, वो नेता कैसा? नेता तो वही है जो आड़े वक्त पर लोगों के काम आए। जो मुसीबतों के बीच से रास्ता निकाल ले। मैं आपको वचन देता हूं कि विकास में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा और जनता की जरूरत के लिए कभी पैसे की कमी को आड़े नहीं आने दूंगा। लेकिन ये तब होगा, जब हमारी सरकार रहेगी।"
'कमलनाथ जो सवा साल में नहीं कर पाई, हमने 6 महीनों में कर दिया'
सीएम शिवराज ने कहा कि 'कमलनाथ सरकार पूरे समय पैसे की कमी का रोना रोती रही, लेकिन हमने कोरोना संकट में भी इसके लिए व्यवस्था की। यह सही बात है कि आर्थिक दिक्कत है, लेकिन हमने उसके बीच से रास्ता निकाला। कोरोना काल में भी हमने गरीबों, मजदूरों के खाते में पैसे डाले।1 लाख 78000 हितग्राहियों के खातों में सामाजिक सुरक्षा के पैसे डाले। 1400 करोड़ रुपए पेंशन के डाले। हर एक व्यक्ति को भोजन मिले इसके लिए मुफ्त अनाज की योजना तो चल ही रही है, हमने सस्ते अनाज के लिए भी 37 लाख पात्रता पर्चियां और बांटी।'
'सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है ऐसी कलाकारी'
शिवराज ने कहा कि "पार्टी के कार्यकर्ता जनता को बताएं कि कर्जमाफी के नाम पर कमलनाथ सरकार ने किस तरह किसानों को धोखा दिया है। राहुल गांधी ने मंदसौर में यह घोषणा की थी कि हमारी सरकार बनने पर सभी किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ होगा। लेकिन जब सरकार बनी, तो शर्तें लगा दीं। कहने लगे सिर्फ अल्पकालीन फसली ऋण ही माफ होगा। लाखों किसान कर्जमाफी से बाहर हो गए। फिर कहने लगे 31 मार्च 2018 तक का कर्ज माफ करेंगे, कई किसान बाहर हो गए। फिर बोले सिर्फ कालातीत ऋण ही माफ करेगे, चालू खातों का नहीं। फिर सरकार ने कर्जमाफी की रकम 6 हजार करोड़ में से आधा भार बैंकों, सहकारी संस्थाओं पर डाल दिया। बैंकों को पैसा दिया नहीं और कर्जमाफी के झूठे प्रमाण पत्र दे दिए।"