निगमकर्मी ने कुएं में और मेडिकल व्यवसायी ने क्षिप्रा नदी में छलांग लगाकर जान दी; निगमकर्मी ने सुसाइड नोट में लिखा- दरोगा, जमादार ने बहुत परेशान किया

Posted By: Himmat Jaithwar
10/10/2020

उज्जैन। उज्जैन में शनिवार सुबह सुसाइड की 2 घटनाएं सामने आने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। पहला मामला सुदामा नगर थाना कोतवाली क्षेत्र का आया, जहां एक नगर निगम कर्मचारी ने दरोगा पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए कुएं में कूदकर जान दे दी। उसने दो पेज का सुसाइड नोट भी छोड़ा है। वहीं, महाकाल थाना क्षेत्र में एक मेडिकल व्यवासयी ने क्षिप्रा नदी के ब्रिज से छलांग लगा दी है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और रेस्क्यू कर दोनों को पानी से बाहर निकाला।

निगमकर्मी के शव को कुएं से बाहर निकाला गया।
निगमकर्मी के शव को कुएं से बाहर निकाला गया।

सुदामा नगर पुलिस के अनुसार, नगर निगम कर्मचारी राजेश ने कुएं में कूदकर आत्महत्या की है। पुलिस ने राजेश का शव कुएं से निकाला और पीएम के लिए अस्पताल भिजवाया। इस दौरान कुएं से प्लास्टिक में लिपटा दो पेज का सुसाइड नोट भी निकाला गया। उसने दो पेज का सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें लिखा है कि उसे एक दरोगा द्वारा परेशान किया जा रहा था, जिससे वह काफी परेशान हो गया था।

मेडिकल व्यवसायी के शव को गोताखोरों ने शिप्रा नदी से बाहर निकाला।
मेडिकल व्यवसायी के शव को गोताखोरों ने शिप्रा नदी से बाहर निकाला।

महाकाल पुलिस ने भी बताया कि सुबह करीब साढ़े 7 बजे सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति ने क्षिप्रा नदी के ब्रिज से छलांग लगा दी है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और रेस्क्यू कर व्यक्ति को नदी से बाहर निकाला। बताया जा रहा कि 48 वर्षीय प्रवीण पिता बसंत कुमार चौहान निवासी साईं धाम कॉलोनी के रहने वाले हैं। वे सुबह मॉर्निंग वॉक का कहकर घर से निकले थे। उन्होंने नदी में कूदकर जान क्यों दी, इसका पता लगाया जा रहा है। सूचना पर व्यवसायी की बेटी और पत्नी मौके पर पहुंची। बेटी पिता की बॉडी से पानी निकालने की कोशिश करते हुए कहती रही प्लीज पापा उठ जाओ।

सुसाइड नोट के कुछ अंश...
मेरे बच्चों मैंने आपको बहुत दुख दिया हो सके तो मुझे माफ कर देना। मेरे भाई मेरे बच्चों का ध्यान रखना, उन्हें कभी दुख मत देना। मैं इस संसार से दुखी होकर जा रहा हूं क्योंकि कुछ समय से मुझे दरोगा और जमादार परेशान कर रहे थे। मैंने कभी अपने काम में लापरवाही नहीं की। कोरोना काल में भी ईमानदारी से ड्यूटी की। फिर भी पगार 2500 से 3000 हजार ही मिलती रही। 2007 से विनोद मिली की चाल में काम कर रहा हूं, काम में लापरवाही नहीं की फिर भी मेरे नांगा लगा दिए गए।

बाल्टी डालकर सुसाइड नोट को पानी से बाहर निकाला गया।
बाल्टी डालकर सुसाइड नोट को पानी से बाहर निकाला गया।

मैं आयुक्त महोदय से कहना चाहता हूं कि सफाईकर्मियों पर भी ध्यान दीजिए। क्योंकि उन्हें ईमानदारी से काम करने पर भी परेशान किया जाता है। मैंने एक लाख का लोन लिया था, जिसे दो-तीन साल हो चुके हैं। शायद अब लोन पूरा भी होने वाला होगा। उसकी किस्त 5 हजार रुपए कटती है।



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